- फिनलैंड के साथ-साथ ऐसी खबरें है कि स्वीडन की संसद भी नाटो में शामिल होने के लिए जल्द फैसला कर सकती है।
- फिनलैंड की रूस से करीब 1300 किलोमीटर की सीमा मिलती है।
- पुतिन ने दावा किया है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला इसलिए किया क्योंकि नाटो रूस के लिए खतरा बना रहा था।
Russia-Ukraine War: 79 दिन से चल रहे रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से हर रोज दिल दहलाने वाली तस्वीरे आ रही हैं। यूक्रेन का एक बड़ा हिस्सा खंडहर में तब्दील हो चुका है। लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं, हजारों आम नागरिक मारे जा चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद अभी तक युद्ध खत्म नहीं हो पाया है। ऐसे में फिनलैंड का नया ऐलान, एक नए युद्ध को दावत दे सकता है। असल में स्कैंडेवियन देश फिनलैंड ने कहा है कि वह जल्द ही नाटो (NATO) की सदस्यता के लिए आवेदन करेगा। फिनलैंड के इस ऐलान के बाद रूस में ब्रिटेन के पूर्व राजदूत ने दावा किया है कि फिनलैंड को सबक सिखाने के लिए पुतिन बाल्टिक क्षेत्र में अपनी परमाणु सेना को और ज्यादा मजबूत कर सकते हैं। इसके अलावा रूस इस आशंका को देखते हुए यह चेतावनी दे चुका है कि ऐसा करने पर उसके राजनीतिक और आर्थिक परिणाम भुगतने होंगे।
फिनलैंड के साथ स्वीडन ने भी दिए संकेत
फिनलैंड के साथ-साथ ऐसी खबरें है कि स्वीडन की संसद भी नाटो में शामिल होने के लिए जल्द फैसला कर सकती है। अगर फिनलैंड के बाद स्वीडन भी नाटो में शामिल होने का ऐलान करता है। तो यूक्रेन के बाद रूस इन देशों पर भी कार्रवाई कर सकता है। हालांकि यह कार्रवाई कैसी होगी, इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है। लेकिन एक बात साफ है कि जिस तरह से रूस ने पहले चेतावनी थी, उसके आधार पर इस क्षेत्र में भी अशांति फैलने की आशंका है। फिनलैंड और स्वीडन के इस कदम से पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नाटो का विस्तार रूस की सीमा के और करीब तक हो जाएगा।
नाटो में क्यों जाना चाहते हैं स्वीडन और फिनलैंड
फिनलैंड की रूस से करीब 1300 किलोमीटर की सीमा मिलती है। और जिस तरह यूक्रेन पर रूस ने नाटो के खतरे को देखते हुए हमला किया है। उसे देखते हुए फिनलैंड को आशंका है कि वह रूस की विस्तारवादी नीति से ज्यादा दिनों तक नहीं बच सकता है। और इस डर को फिनलैंड के राष्ट्रपति के बयान से समझा जा सकता है। राष्ट्रपति साउली नीनिस्टो ने गुरुवार को कहा है कि फिनलैंड के फैसले के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जिम्मेदार हैं। आप इसका कारण बने है, आपको आईना देखना चाहिए। कुछ इसी तरह की आशंका स्वीडन को भी है, जो कि फिनलैंड से जुड़ा हुआ है और उसकी समुद्री सीमाएं भी रूस से मिलती हैं।
जिन्हें श्रीलंका की जनता ने बुरी तरह हराया अब वहीं उम्मीद,विक्रमसिंघे करेंगे कमाल !
रूस को नाटो का क्या है डर
असल में 24 फरवरी 2022 को जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, उस वक्त राष्ट्रपित जेलेंस्की ने भी इसी बात का ऐलान किया था, कि वह नाटो का सदस्य बनेंगे। जिसके बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विक्ट्री डे पर कहा था कि रूस ने यूक्रेन पर हमला इसलिए किया क्योंकि नाटो रूस के लिए खतरा बना रहा था। इसके अलावा रूस को यह भी डर था कि यूक्रेन अगर नाटो में शामिल हो जाएगा तो रूस की सीमा तक नाटो पहुंच जाएगा। अब ऐसा ही डर फिनलैंड और स्वीडन के साथ हो जाएगा। और अगर ये देश नाटो में शामिल होते हैं तो फिर नाटो किसी भी सैन्य आक्रमण के समय रूस के खिलाफ खड़ा हो जाएगा। जो अभी वह यूक्रेन के साथ नहीं कर पा रहा है। इसीलिए यूक्रेन को नाटो देश अप्रत्यक्ष रूप से सैन्य मदद कर रहे हैं।