वाशिंगटन : अमेरिका में इसी सप्ताह 52 साल की एक महिला को मौत की सजा दी गई। उसे सजा 2007 में ही सुनाई गई थी, जिस पर अमल अब 2021 में हुआ। इंडिया प्रांत की जेल में जहर का इंजेक्शन देकर उसे मौत की सजा दी गई। उसे 'जघन्य अपराध' के लिए दोषी पाया गया था। सजा सुनाए जाने के इतने वर्षों बाद उस पर अमल की वजह इस मामले को लेकर ऊपरी अदालतों में दी गई चुनौती रही। लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा पर रोक लगाने की अर्जी खारिज कर दी तो अंतत: उसे जहर का इंजेक्शन दे दिया गया। इससे पहले एक बार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण भी उसकी सजा टली।
महिला का पेट चीरकर निकाल लिया बच्चा
अमेरिका में जिस महिला को 'जघन्य अपराध' में मृत्युदंड दिया गया, वह 52 वर्षीया लीसा मॉन्टगोमरी है। अमेरिकी इतिहास में 67 साल बाद ऐसा हुआ है, जब किसी महिला कैदी को मौत की सजा दी गई है। इससे पहले 1953 में एक महिला को गैस चेंबर में रखकर मौत की सजा दी गई थी। लीसा को 13 जनवरी, 2021 को जहर का इंजेक्शन दिया गया। कोर्ट ने वकील की इस दलील को नहीं माना कि उसकी मुवक्किल की मानसिक हालत ठीक नहीं है। उसने जिस वारदात को अंजाम दिया था, उसके बारे में सुनकर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। लीसा ने एक गर्भवती महिला का पेट चीरकर उसके बच्चे को निकाल लिया था।
यह वाकया साल दिसंबर 2004 का है, जब मिसोरी राज्य में एक डॉग शो के दौरान उसकी दोस्ती 23 साल की बॉबी जो स्टिन्नेट से बात हुई थी। बॉबी डॉग ब्रीडिंग के कारोबार से जुड़ी थी। बॉबी का पति भी इसमें उसकी मदद करता था। बॉबी उस वक्त 8 महीने की गर्भवती थी। लीसा ने बॉबी से कहा कि वह भी गर्भवती है और एक पिल्ला खरीदना चाहती है। इस बहाने लीसा कैनसस से मिसोरी में बॉबी के घर गई और वहां अचानक मौका पाकर उस पर हमला कर दिया। उसने गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी और फिर बॉबी के पेट पर चाकू से चीरा लगाकर उसके बच्चे को निकाल लिया और उसका अपहरण कर लिया।
लीसा के पक्ष में वकीलों ने दी कई दलीलें
बॉबी को खून से लथपथ हालत में उसकी मां ने देखा था। बेटी की यह हालत देखकर मां के होश उड़ गए थे। बात फिर पुलिस तक पहुंची और लीसा को मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। मुकदमा चला और वह दोषी ठहराई गई। इस बीच कुछ वक्त तक लीसा ने यही जताने की कोशिश की वह बच्चा उसका ही है। वह बच्चा अब 16 साल का है और उसे शायद ही कभी पता चल पाएगा कि मां का प्यार क्या होता है। सुनवाई के दौरान लीसा के वकील की ओर से दलील दी गई कि बचपन में मारपीट और उत्पीड़न की वजह से उसके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा और वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है, लेकिन कोर्ट ने इस दलील को नहीं माना।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान लीसा के बारे में जो जानकारी सामने आई, उसके मुताबिक, उसका बचपन बेहद मुश्किलों में गुजरा। मां शराबी थी, जो उसके साथ बहुत मारपीट करती थी। इन सबने उसके दिमाग पर गहरा असर डाला। इतना ही नहीं, उस शख्स ने भी उसके साथ यौन दुर्व्यवहार किया, जिसके साथ उसकी मां के संबंध रहे। लीसा की दो शादियां हुईं, लेकिन उसकी एक भी शादी सफल नहीं रही और उसका हर बार तलाक हो गया। इन शादियों से उसके चार बच्चे हुए और आखिरी बार तब उसके पति रहे शख्स ने उसकी जबरन नलबंदी करा दी थी। उसके वकील की ओर से कोर्ट में बताया गया कि इन घटनाओं ने उसके मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाला और उसका दिमागी संतुलन बिगड़ गया। हालांकि जिस जघन्य वारदात को लीसा ने 2004 में अंजाम दिया था, उसमें ये दलीलें किसी तरह से उसके पक्ष में मददगार साबित नहीं हुई और कोर्ट ने उस जघन्य वारदात के लिए उस पर रहम नहीं किया।