- पंजशीर घाटी में तालिबान को अहमद मसूद के लड़ाके दे रही कड़ी टक्कर
- अहमद मसूद ने सरकार में शामिल होने की तालिबान की पेशकश ठुकरा दी है
- 1996 से 2001 के शासन के दौरान भी तालिबान ने पंजशीर पर कब्जे की कोशिश की थी
नई दिल्ली : अफगानिस्तान में सरकार बनाने की तैयारी में जुटे तालिबान को बड़ा झटका लगा है। खबर है कि विद्रोहियों ने उससे दो प्रांत परवान और बागलान छीन लिए हैं। तालिबान के साथ इस लड़ाई में महिलाएं भी शामिल हुई हैं। पंजशीर में अहमद मसूद और अपदस्थ उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के लड़ाके तालिबान को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। पंजशीर इलाके में पिछले दो-तीन दिनों से दोनों गुटों में संघर्ष चल रहा है। इस लड़ाई में तालिबान के सैकड़ों लड़ाकों के मारे जाने की बात सामने आई है।
पंजशीर घाटी में तालिबान को मिल रही बड़ी चुनौती
अफगानिस्तान में तालिबान अपनी सरकार बना भी लेता है तो आने वाला समय उसके लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है क्योंकि अहमद मसूद उसे परेशान करते रहेंगे। तालिबान अपने 1996 से 2001 के शासन के समय भी पंजशीर इलाके पर कब्जा नहीं कर पाया था। एक बार फिर वह इस इलाके को अपने अधीन लाने के लिए संघर्ष कर रहा है लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ रही है। तालिबान ने पंजशीर के लोगों से भी अपने हथियार सरेंडर करने के लिए कहा था लेकिन यहां के लोगों ने उसकी बात नहीं मानी।
भारी पड़ रहे मसूद के लड़ाके
तालिबान चाहता है कि अहमद मसूद उसकी सरकार में शामिल हों। इस लेकर मसूद के साथ उनकी चर्चा भी हुई लेकिन तालिबान के इस प्रस्ताव पर वह तैयार नहीं हुए। मसूद और सालेह ने तालिबान की विचारधारा को खारिज कर दिया है। जाहिर है कि तालिबान अफगानिस्तान में सरकार बना भी लेता है तो उसे पंजशीर घाटी से हमेशा चुनौती मिलती रहेगी। पंजशीर घाटी की लड़ाई में तालिबान को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह इलाका दुर्गम पहाड़ियों के बीच में स्थित है।