- अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एयरपोर्ट के बाहर फिदायीन हमले हुए हैं
- इस वारदात ने अफगानिस्तान में पहले से ही खौफजदा लोगों को और दहशत में ला दिया है
- भारत, अमेरिका सहित दुनिया के कई मुल्कों ने काबुल में हुए हमले की निंदा की है
काबुल : अफगानिस्तान में संकटपूर्ण हालात के बीच काबुल एयरपोर्ट के बाहर दो आत्मघाती हमले हुए हैं, जिसमें कई लोगों के मारे जाने की आशंका है। अमेरिकी रक्षा कार्यालय पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी के मुताबिक, एक धमाका हवाईअड्डे के प्रवेश द्वार के पास हुआ जबकि दूसरा एक होटल से कुछ दूरी पर हुआ। हताहतों में अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं। एयरपोर्ट के बाहर दो आत्मघाती हमलावरों और बंंदूकधारियों ने भीड़ को निशाना बनाया।
अलग-अलग रिपोर्ट्स में मृतकों और घायलों की संख्या अलग बताई जा रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, धमाकों/फायरिंग में 40 लोगों की मौत और 120 से अधिक लोगों के घायल होने की सूचना है। वहीं, रूसी मीडिया की रिपेार्ट में मृतकों की संख्या 13 बताई गई है। काबुल में यह हमला एयरपोर्ट के बाहर उस जगह हुआ, जहां अमेरिकी सैनिक तैनात थे। अमेरिकी रक्षा कार्यालय पेंटागन ने अपने सैनिकों के इस हमले में हताहत होने की पुष्टि की है।
अमेरिकी सैनिकों ने गंवाई जान
एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि काबुल हवाईअड्डे पर गुरुवार को हुए हमले में कई अमेरिकी नौसैनिकों की जान गई और कई अन्य जवान घायल हुए। पेंटागन ने हालांकि यह साफ नहीं किया कि कितने सैनिक हताहत हुए। अधिकारी के मुताबिक, हताहतों की सही संख्या पता लगाने की कोशिश की जा रही है। काबुल में हुए विस्फोटों के बाद अमेरिका में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई, जिसमें राष्ट्रपति जो बाइडेन भी शामिल हैं।
हमले के लिए ISIS-K जिम्मेदार!
काबुल में हुए विस्फोटों के लिए आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के खोरासन गुट (ISIS-K) को जिम्मेदार समझा जा रहा है। जहां 'Politico' की रिपोर्ट में ISIS-K द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेने की बात कही गई है। वहीं, एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यह 'निश्चित तौर पर माना जा रहा है कि काबुल एयरपोर्ट के पास हुए विस्फोटों में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का हाथ है। इस्लामिक स्टेट ने बीते दिनों तालिबान को अमेरिका का 'पिट्ठू' कहा था।
तालिबान ने की निंदा
धमाका काबुल एयरपोर्ट के चौथे नंबर के Abbey गेट के पास हुआ है। एयरपोर्ट के बाहर तालिबान के सुरक्षा गार्ड्स भी तैनात थे। तालिबान ने हमले में अपनी किसी भी तरह की संलिप्ता से इनकार करते हुए आतंकी वारदात की निंदा की है। अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद यह इस तरह का पहला हमला है। हमले के बाद सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या अमेरिका और नाटो देशों के रुख में अफगानिस्तान को लेकर बदलाव आएगा?
आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो दुनिया : भारत
भारत ने काबुल में हुए विस्फोटों की निंदा की है। भारत की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, 'हम हमले की कड़ी निंदा करते हैं। हम आतंकी हमले में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना जताते हैं। हमारी सहानुभूति व दुआएं घायलों के साथ हैं। आज के हमले ने एक बार फिर इस बात पर जोर दिया है कि दुनिया को आतंकवाद और उन सभी के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है, जो आतंकियों को पनाह मुहैया कराते हैं।'
हालात गंभीर रूप से बिगड़े : फ्रांस
काबुल में विस्फोटों के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि धमाकों के कारण काबुल हवाईअड्डे के पास हालात गंभीर रूप से बिगड़े हैं। आयरलैंड के डबलिन में अपने दौरे के दौरान मैक्रों ने कहा, 'हम अत्यंत तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहे हैं, हमें अपने अमेरिकी सहयोगियों के साथ समन्वय करना चाहिए। हवाई अड्डे पर हालात अनुकूल रहने तक फ्रांस अपने नागरिकों, अन्य सहयोगी देशों के लोगों और अफगानों को निकालना जारी रखेगा।'
भयानक आतंकी हमला : नाटो
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के प्रमुख ने काबुल हवाई अड्डे पर हुए बम हमलों को 'भयानक आतंकी हमला' करार दिया है। नाटो चीफ नेएक ट्वीट में कहा, 'मैं काबुल हवाई के बाहर हुए भयानक आतंक हमले की कड़ी निंदा करता हूं। जो लोग इससे प्रभावित हुए हैं उनके साथ मेरी संवेदनाएं हैं। हमारी प्राथमिकता ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल्द से जल्द निकालने की है।'
3 देशों ने जताई थी हमले की आशंका
काबुल में यह धमाका ऐसे समय में हुआ है, जबकि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बड़ी संख्या में लोग देश से पलायन कर रहे थे और इसके लिए वे काबुल एयरपोर्ट पर जुट रहे थे। अमेरिका ने यहां सबसे बड़ा निकासी अभियान चलाया है, जिसके तहत 14 अगस्त से लेकर अब तक 95,700 से अधिक लोगों को बाहर निकाला जा चुका है। अमेरिका ने अपने नागरिकों के साथ-साथ अफगान नागरिकों को भी देश से निकाला।
अफगानिस्तान में भय और असुरक्षा के माहौल के बीच भारत, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों ने निकासी अभियान चलाया है, जिसके तहत लोगों को बाहर निकाला जा रहा है। यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जबकि तीन देशों- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने पहले ही अपने नागरिकों को चेताया था कि वे काबुल एयरपोर्ट की तरफ न जाएं। यहां इस्लामिक स्टेट के हमले की आशंका है।