Road Accidents: हर साल दुनियाभर में लाखों लोगों की जान चली जाती है। भारत का नाम भी उन देशों की लिस्ट में है, जहां सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं। इन हादसों के पीछे कई वजहें होती हैं। सड़क हादसे बढ़ने की वजह से कारों को भी पहले से ज्यादा सेफ बनाया जा रहा है। इसमें कई तरह के सिस्टम लगाए जा रहे हैं। हालांकि, कई एक्सपर्ट्स का मनना है कि कारों में मिलने वाले हाइटेक फीचर्स सड़क हादसों की बड़ी वजह बन रहे हैं।
सड़क हादसों से होने वाली मौतों की चर्चा भारत में एक बार फिर तेज हुई है। क्योंकि, 4 सितंबर 2022 को टाटा सन्स के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अकेले साल 2020 में ही हर घंटे 42 सड़क हादसे हुए और इनमें से 15 लोगों की जानें गईं। यानी हादसों में मौतों का आंकड़ा भी काफी ज्यादा है।
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इंफोटेनमेंट और सेफ्टी को ध्यान में रखकर अब कार कंपनियां अब नए मॉडलों में कई नए फीचर्स देती हैं। लेकिन, एक्सपर्ट्स का मनना है कि इन नए फीचर्स की वजह से लोगों का ध्यान भटकता है और ये एक्सीडेंट कराने के लिए काफी है। अमेरिका की संस्था ‘ट्रिपल-ए फाउंडेशन फॉर ट्रैफिक सेफ्टी’ की एक स्टडी से ये बात सामने आई है कि सड़क से सिर्फ 2 सेकेंड के लिए नजर हटाने से कार एक्सीडेंट का खतरा दोगुना हो जाता है। यानी सीधे शब्दों में कहें तो ध्यान भटकने से हादसे की आशंका बढ़ जाती है और नए फीचर्स को अगर सड़क पर चलते हुए इस्तेमाल किया जाए तो ध्यान भटकना तय है। कई ऐसे फीचर्स हैं, जिनसे हाथ तो स्टीयरिंग पर रहता है, लेकिन दिमाग इंगेज हो जाता है।
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कुछ घटनाओं की बात करें तो 2001 में अमेरिकी सुपरमॉडल निकी टेलर की कार का एक्सीडेंट हो गया। हादसे की वजह से सिर में गहरी चोट लगी और वह महीने भर तक कोमा में रहीं। उनके ड्राइवर का ध्यान कॉल की वजह से भटक गया था। वहीं, साल 2012 में ब्रिटिश सिंगर पीटर फ्रेम्पटन रोड का एक्सीडेंट हो गया था। जांच में पता चला कि उन्हें टक्कर मारने वाली महिला कार चलाने के साथ मोबाइल पर चैटिंग भी कर रही थी। एक रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 58 प्रतिशत ड्राइवर ये मानते हैं कि हाइटेक कार चलाते वक्त उनका ध्यान भटकता है।
फिलहाल हम यहां आपको कारों में मिलने वाले उन फीचर्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो ध्यान बंटाकर खतरा बढ़ाते हैं:
डैशबोर्ड डिस्प्ले: कार कंपनियां डैशबोर्ड डिस्प्ले में काफी सारे फीचर्स देती हैं, जिन्हें इस्तेमाल करने के लिए उन्हें खोजना पड़ता है।
हैंड्स-फ्री टेक्नोलॉजी: वॉयस कमांड और ब्लूटूथ की वजह से भले ही स्टीयरिंग से हाथ ना हटाना पड़े लेकिन इससे दिमाग इंगेज हो जाता है।
सेल्फ ब्रेक सिस्टम: हाइटेक कारों में लगे सेंसर्स खतरा भांपते ही ब्रेक अप्लाई कर देते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे ड्राइवर लापरवाह हो जाते हैं।
GPS इस्तेमाल करना: GPS यूज करने के दौरान बार-बार नजर मैप पर जाती है, जो खतरा बढ़ा सकती है।
म्यूजिक सिस्टम: गाने सुनने और ट्रैक बदलने की वजह से कई बार ड्राइवर का ध्यान ड्राइविंग से हट जाता है।
Wi-Fi लाइव टीवी: Wi-Fi से लैस कारों में पिछली सीट पर टीवी देखा जा सकता है। इसकी आवाज गाड़ी चला रहे ड्राइवर का ध्यान भटका सकती है।