Land Pooling Scheme in Chandigarh: दूसरे राज्यों की तरह जल्द चंडीगढ़ में भी लैंड पूलिंग स्कीम लागू हो सकती है। नगर निगम इस संबंध में एक प्रस्ताव ला रहा है, जिसे पास कराने के लिए 29 मार्च को सदन की बैठक में रखा जाएगा। अगर इस प्रस्ताव को प्रशासन की मंजूरी मिलती है तो शहर के गांवों में लाल डोरे के बाहर बने निर्माण की दिक्कत दूर हो जाएगी, जिसे प्रशासन अवैध मानता है। इस प्रस्ताव के पास होने से शहर के 23 गांवों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। इन्हें शहर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। लैंड पूलिंग नीति बनने से कृषि योग्य भूमि को कमर्शियल पर्पज के लिए प्रयोग किया जा सकेगा।
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार इन 23 गांवों में करीब 3 हजार एकड़ जमीन कृषि योग्य है। जिनके लिए लैंड पूलिंग नीति की जरूरत है। अभी प्रशासन लाल डोरे के बाहर हुए निर्माण को अवैध मानता है। साथ ही नगर निगम की तरफ से इन्हें कोई सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करवाई जाती हैं। पिछले वर्ष तत्कालीन प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने भी प्रशासन के अधिकारियों को लाल डोरे के बाहर के निर्माण को मंजूरी दिलाने के लिए यूटी प्रशासन पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की तर्ज पर एक नीति बनाने के लिए कहा था।
गांवों का किया गया सर्वे
जिसके बाद बंगलूरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन सेटलमेंट (आइआइएचएस) और प्रशासन अधिकारियों के बीच एक बैठक भी हुई और इसके लिए विभिन्न गांवों का सर्वे भी किया गया। वहीं, नगर निगम के चुनाव में भी राजनीतिक दल भी इस मुद्दे को बार-बार उठाते रहे हैं।
पंचकूला और मोहाली में लागू है लैंड पूलिंग
चंड़ीगढ़ में अभी यह नीति भले ही लागू न हो, लेकिन इससे सटे पंचकूला और मोहाली शहर में लैंड पूलिंग की नीति लागू है। जिसके कारण वहां लगातार विकास हो रहा है। इस स्कीम के तहत प्रोजेक्ट विकसित होने पर किसानों एवं जमीन मालिकों को मिलने वाली जमीन की कीमत प्रति वर्ग गज का बड़ा फायदा मिल सकता है। पंचकूला में लैंड पूलिंग स्कीम के तहत किसी भी जमीन मालिक को एक एकड़ जमीन के बदले उसी रिहायशी सेक्टर के विकसित होने पर 1000 से 1200 वर्ग गज तक का रिहायशी प्लाट तथा एक कमर्शियल प्लाट देने का प्रविधान है। इसमें नगर निगम को पैसे देकर जमीन का अधिग्रहण नहीं करना पड़ेगा और न ही कोर्ट से एन्हांसमेंट आने का कोई चक्कर है।