Fake Encounter: मोहाली की सीबीआई कोर्ट ने एक फर्जी एनकाउंटर के मामले की सुनवाई करते हुए पंजाब पुलिस के दो रिटायर्ड अफसरों को दोषी करार दिया है। पंजाब में यह फर्जी मुठभेड़ 1992 में हुई थी। जिस पर विवाद होने के बाद एनकाउंटर की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। जिसके बाद से मोहाली की सीबीआई कोर्ट में इस मामले का ट्रायल चल रहा था। इस मामले में तीन पुलिस अधिकारियों को हत्या का आरोपी बनाया गया था, लेकिन कोर्ट ट्रायल के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई। अब दो को दोषी मानते हुए कोर्ट 16 अगस्त को सजा सुनाएगा।
इस मामले की पैरवी कर रहे वकील सरबजीत वेरका ने बताया कि पंजाब के मेहता थाना के तत्कालीन इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह, इंस्पेक्टर किशन सिंह और सब इंस्पेक्टर तरसेम लाल के खिलाफ 13 सितंबर, 1992 में चार लोगों की हत्या के आरोप लगे थे। इन अधिकारियों पर आरोप था कि मेहता इलाके में रहने वाले दलबीर सिंह, साहब सिंह, बलविंदर सिंह व एक अज्ञात व्यक्ति की फर्जी एनकाउंटर में हत्या कर दी थी।
इस फर्जी एनकाउंटर के बाद पुलिस ने आरोप लगाया था कि मारे गए चारों आरोपित आतंकी संगठनों से जुड़े थे और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। जब इनको पकड़ने की कोशिश की गई, तो उन्होंने पुलिस पर हमला कर दिया था। एनकाउंटर के बाद पीड़ित परिवारों ने इसे फर्जी बातते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। सीबीआई ने 28 फरवरी, 1997 को आरोपी पुलिस अफसरों के खिलाफ हत्या व सबूत नष्ट करने का केस दर्ज कर जांच शुरू की। इस केस की सुनवाई के दौरान मेहता थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह की मौत हो गई। वहीं दोनों पक्षों के बयान और गवाहों की सुनवाई के बाद सीबीआइ कोर्ट ने इंस्पेक्टर किशन सिंह और तरसेम लाल को दोषी माना। वकील सरबजीत सिंह वेरका ने बताया कि दोनों रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों को कोर्ट 16 अगस्त को सजा सुनाएगा।