कोलकाता: कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया में खौफ पसरा हुआ है। चार महीने से ज्यादा का समय हो चुका है और भारत में इस वायरस का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच खेलों को दोबारा शुरू करने का प्रयास जारी है लेकिन इसके लिए कुछ अनिवार्य नियम (एसओपी) जारी किए गए हैं जिसका पालन खिलाड़ियों से लेकर सभी संबंधित लोगों को करना होगा। हालांकि कुछ लोग अब भी इन नियमों से सहमत नहीं दिख रहे। पूर्व क्रिकेटर व मौजूदा कमेंटेटर अरुण लाल के ताजा बयान से ऐसा ही लगता है।
गौरतलब है कि जिनको पहले से बीमारियां हैं या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित रहे हैं, उनको संक्रमण से सबसे ज्यादा खतरा है। पूर्व दिग्गज क्रिकेटर अरुण लाल भी कैंसर से पीड़ित रह चुके हैं, हालांकि वो अब उससे उबर भी चुके हैं। इन दिनों वो बंगाल क्रिकेट टीम के कोच हैं। अरूण लाल का कहना है कि घरेलू टीमों के लिये भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू होने का यह मतलब नहीं कि वह खुद को कमरे में बंद कर लेंगे।
बोर्ड ने जारी किए हैं ये नियम
बीसीसीआई ने राज्य संघों के लिये एसओपी जारी किया है जिसके अनुसार 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग जिन्हें कोई बीमारी रही हो या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो, उन्हें सरकार के आगामी निर्देश मिलने तक अभ्यास शिविरों में नहीं आना चाहिये। अरूण लाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहा कि वो कैसे इस उम्र में देश चला रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री 69 साल के हैं और ऐसे समय में देश चला रहे हैं। क्या उनको कोई इस्तीफा देने को कहता है।’’
मैं अपनी जिंदगी जिऊंगा
अरुण लाल ने कहा, ‘‘मैं बंगाल को कोचिंग दूं या नहीं लेकिन मैं अपनी जिंदगी जिऊंगा। मुझसे यह अपेक्षा मत रखिये कि 65 साल का होने के कारण मैं अगले 30 साल तक खुद को एक कमरे में बंद कर लूंगा। ऐसा नहीं होगा।’’ बंगाल के इस महान क्रिकेटर ने कहा कि वह सामाजिक दूरी के प्रोटोकॉल का पालन करेंगे लेकिन पृथकवास में नहीं रहेंगे।
दुनिया भर में 'बायो बबल' के जरिए खेल शुरू
महामारी खत्म नहीं हुई है लेकिन लंबा इंतजार करने के बाद दुनिया भर में कई खेलों में गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं। अधिकतर देशों व खेलों में दर्शकों के बिना ही इसको शुरू किया गया है लेकिन फैंस घर पर टीवी में इन खेलों का लुत्फ उठा रहे हैं। ये मुमकिन हो पाया है तमाम खेल प्रशासकों द्वारा बायो बबल की व्यवस्था को सुनश्चित करके।
'बायो बबल' या जैविक सुरक्षित वातावरण एक ऐसी सुविधा है जहां खिलाड़ियों को वायरस से पूरी तरह सुरक्षित रखा जाता है। पहले खिलाड़ियों के कोरोना टेस्ट किए जाते हैं, फिर कुछ दिनों के लिए उनको आइसोलेट करने के बाद फिर टेस्ट किए जाते हैं। नेगेटिव आने के बाद इन खिलाड़ियों को एक ऐसी जगह रखा जाता है जहां ना कोई अंदर से बाहर जाएगा, ना बाहर से कोई भी अंदर आएगा। सैनिटाइजेशन का पूरा पालन होगा और उल्लंघन करने पर खिलाड़ियों को सजा भी मिलेगी।
जोफ्रा आर्चर झेल चुके हैं सजा
बेशक अरूण लाल बोर्ड द्वारा जारी एसओपी से सहमति नहीं रखते लेकिन उनको ये समझना होगा कि खेल जगत में खिलाड़ियों व स्टाफ को वायरस संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए ये बेहद जरूरी है। हाल ही में इंग्लैंड-वेस्टइंडीज टेस्ट सीरीज के जरिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का आगाज हो सका लेकिन ये सीरीज इसीलिए मुमकिन हो पाई क्योंकि इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने बायो बबल स्थापित करते हुए सख्त नियम बनाए।
इंग्लैंड के दिग्गज ऑलराउंडर जोफ्रा आर्चर इस बायो बबल से बाहर निकलते हुए किसी से मिलने चले गए थे जिसके बाद उनको इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। उनको उस मैच के लिए टीम से बाहर रखते हुए क्वारंटाइन में भी भेज दिया गया। ऐसे में जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती और एक बार फिर से पूरी दुनिया सुरक्षित नहीं हो जाती तब तक इस हकीकत को सबको स्वीकार करना होगा और नियमों का पालन ही इस संक्रमण से एकमात्र बचाव का तरीका है।
कब आएंगे दर्शक?
फिलहाल दर्शक कब मैदानों में दोबारा नजर आएंगे ये कहा नहीं जा सकता। खिलाड़ियों को शायद कुछ और महीनों के लिए दर्शकों के शोर के बिना खेलने की आदत डालनी होगी। दुनिया भर में महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या 7 लाख तक पहुंचने के करीब है जब संक्रमित हो चुके लोगों की संख्य 2 करोड़ तक पहुंचने की कगार पर है। इस संक्रमण से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों और बच्चों को है, ऐसे में उनको नियम का पालन करना जरूरी है। भारत में अब तक किसी भी आउटडोर खेल में गतिविधियां शुरू नहीं हुई हैं। टी20 विश्व कप रद्द होने के बाद यूएई में आईपीएल होने का ऐलान कर दिया गया है, जो कि सितंबर में शुरू होगा। ऐसे में जिनको आईपीएल से जुड़ना है उनको सख्त कोरोना नियमों के लिए खुद को तैयार रखना होगा।
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