अहमदाबाद में मौजूद दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में जब पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पहुंचा तो स्थानीय फैंस की खुशी का ठिकाना नहीं था। देखते-देखते भारतीय खिलाड़ियों ने इंग्लैंड को 112 रन पर समेटकर खुशी को दोगुना कर दिया। गुजरात के फैंस के लिए खुशी का एक बहाना और था कि उनके राज्य के 28 वर्षीय हुनरमंद अक्षर पटेल (Axar Patel) ने इस शुरुआत को खास बनाया था। एक ऐसा खिलाड़ी जिसने टेस्ट क्रिकेट तक पहुंचने के लिए लंबा सफर तय किया और आज वो लगातार मैचों में धूम मचा चुके हैं।
अक्षर पटेल ने इंग्लैंड के बल्लेबाजों को पूरी तरह बेबस कर दिया। इस स्पिनर ने 38 रन देते हुए 6 विकेट झटके और सबका दिल जीत लिया। इससे पहले चेन्नई में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच से जब उन्होने अपने टेस्ट करियर का आगाज किया। तो वहां पहली पारी में 2 विकेट और दूसरी पारी में 5 विकेट लेकर देश का नाम रोशन किया।
सामान्य परिवार से आते हैं अक्षर
जिस अहमदाबाद में बुधवार को अक्षर ने अपनी गेंदों से कहर बरपाया, उस शहर से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर नाडियाड में वो रहते हैं। वो एक जॉइंट फैमिली में रहते हैं। उनके एक इंटरव्यू के मुताबिक क्रिकेट करियर को पिता का समर्थन था लेकिन उनकी मां ऐसा नहीं चाहती थीं क्योंकि उनको डर था कि कहीं उनके बेटे को चोट ना लग जाए। जब अक्षर 12 साल के थे, तब पिता ने उनसे पूछा कि वो क्रिकेट खेलना चाहते हैं या पढ़ाई पर ध्यान देना चाहते हैं। अक्षर ने क्रिकेट चुना और पिता ने तुरंत उनका दाखिला क्रिकेट अकादमी में करा दिया।
पिता को मौत के मुंह से बाहर निकाला
आज अक्षर पटेल का परिवार बेहद खुश है और उनका बेटा देश का नाम रोशन कर रहा है लेकिन दो साल पहले एक हादसे ने सब कुछ हिलाकर रख दिया था। उनके पिता अपने कुछ दोस्तों के साथ बाहर गए हुए थे जहां एक दुर्घटना में उनके सिर का बायां हिस्सा बुरी तरह टूट गया था।
वो किसी तरह चार महीने के इलाज के बाद उस स्थिति से बाहर निकले लेकिन 'इंडियन एक्सप्रेस' को दिए इंटरव्यू में अक्षर के पिता ने बताया कि उन कठिन पलों में कम उम्र के अक्षर ने बेहद संयम से काम लिया और उसी के सहारे से वो उस हादसे से उभरने में सफल रहे। अक्षर ने अपने पिता के इलाज में किसी चीज की कमी नहीं होने दी और जरूरत पड़ने पर उनको विदेश भी ले जाने को तैयार थे।
AKSHAR से AXAR कैसे बने, नाडियाड का 'जयसूर्या' क्यों कहते हैं
अक्षर जब स्कूल में थे तब उनके प्रिंसिपल ने सर्टिफिकेट पर Akshar को Axar लिख दिया था। अक्षर ने इस नाम को ना बदलने का फैसला किया और तब से उनका यही नाम लिखा जाने लगा। हालांकि अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अक्षर ने Akshar Patel ही अपना नाम लिखना सही समझा।
अगर बात करें 'नाडियाड के जयसूर्या' की। तो ये निकनेम उनको श्रीलंका के महान पूर्व ऑलराउंडर सनथ जयसूर्या के नाम पर दिया गया। बचपन से क्रिकेट के मैदान पर उनकी फिरकी और बल्लेबाजी के अंदाज को देखकर उनको जयसूर्या बुलाया जाता था। वहीं चेन्नई टेस्ट में भी इसकी झलक दिखी जब स्टंप माइक में विकेटकीपर रिषभ पंत उनको इसी नाम से पुकारते नजर आए।
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