Best innings of Mahendra Singh Dhoni: क्रिकेट में जैसे ही कोई बेस्ट फिनिशर की बात करता है, लोगों के दिमाग में सबसे पहले महेंद्र सिंह धोनी का नाम आता है। धोनी ने मिडिल ऑर्डर में बैटिंग करते हुए भारत को कई बार मुश्किलों से बाहर निकाला। बहुत मौके ऐसे थे, जब दूसरी तरफ से लगातार विकेट गिरने के बाद भी माही एक मोर्चे पर डटे रहे। आईए नजर डालते हैं उनकी टॉप 3 फिनिशिंग पारियों पर
ट्राई सीरीज फाइनल में नाबाद 45 रनों की पारी (2013)
साल 2013 में वेस्ट इंडीज में ट्राई सीरीज टूर्नामेंट का आयोजन हुआ। इसमें इंडिया और श्रीलंका फाइनल में पहुंचे। पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंकाई टीम ने स्कोर बोर्ड पर 201 रन लगाए। स्कोर का पीछा करने उतरी टीम इंडिया ने लगातार विकेट गंवाए। एक वक्त ऐसा लग रहा था कि मैच भारत के हाथ से निकल गया है। 9 विकेट गिर चुके थे, धोनी और ईशांत शर्मा क्रीज पर मौजूद थे।
प्रेशर बढ़ते हुए फाइनल ओवर तक पहुंच गया। आखिरी 6 गेंदों में जीत के लिए भारत को 15 रनों की जरूरत थी। पहली गेंद और धोनी के बल्ले का संपर्क नहीं हुआ। अब 5 बॉलों में 15 रनों की दरकार थी और माही स्ट्राइक पर मौजूद थे। इसके बाद धोनी ने अगले दो गेंदों में पूरा मैच पलट दिया। पहले लंबा छक्का लगाया और फिर दमदार चौके की बदौलत प्रेशर को कम किया। अब 3 बॉल में 5 रनों की जरूरत थी, लेकिन कैप्टन कूल को बस एक गेंद की जरूरत थी। उन्होंने 2 गेंद रहते ही सिक्स के साथ मैच को फिनिश किया। फाइनल में असाधारण खेल दिखाने के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया।
श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 183 रन (2005)
साल 2005 की बात है। श्रीलंका और भारत के बीच जयपुर में वनडे मुकाबला खेला गया। कुमार संगकारा और महिला जयवर्धने के शानदार पारियों की मदद से श्रीलंका ने 298 रन बनाए। इतने बड़े स्कोर का पीछा करते हुए भारत की शुरूआत काफी खराब रही। 5 बॉल के अंदर तेंदुलकर पैविलियन लौट गए। इसके बाद क्रीज पर धोनी आए। वीरेंद्र सहवाग के साथ माही ने पारी को संभाला।
धोनी उस दिन अलग लय में थे। सहवाग के आउट होने के बाद भी उन्होंने तेज तर्रार बल्लेबाजी जारी रखी। 85 बॉल में धोनी ने अपना शतक पूरा किया। और फिर 145 बॉलों में ताबड़तोड़ 183 रनों की पारी खेलकर टीम को 4 ओवर पहले ही जीत दिला दी। इस रन चेज को भी धोनी ने छक्के के साथ खत्म किया। अपनी पारी में माही ने 15 चौके और 10 छक्के लगाए। टीम को जीत दिलाने वाले धोनी को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था।
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वर्ल्ड कप फाइनल में नाबाद 91 रन (2011)
कई दिग्गज 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में धोनी की पारी को बेस्ट बताते हैं। फाइनल में कैप्टन कूल ने युवराज सिंह की जगह खुद को बैटिंग ऑर्डर में प्रमोट किया था। इस मैच में भी इंडिया का टॉप ऑर्डर फेल हुआ था। सहवाग और सचिन के आउट होने के बाद टीम का स्कोर 2 विकेट पर 31 रन थे। इसके बाद कोहली और गंभीर ने पारी को संभाला। कोहली के आउट होने के बाद फील्ड पर माही आए। दरअसल धोनी मुथैया मुरलीधरन के साथ आईपीएल में खेल चुके थे। ऐसे में मुरलीधरन के खिलाफ धोनी ज्यादा कॉन्फिडेंट थे।
फाइनल में धोनी और गंभीर के बीच अहम साझेदारी हुई। हालांकि गंभीर 97 रन बनाकर आउट हो गए। धोनी आखिरी वक्त तक क्रीज पर मौजूद थे और अंत में उन्होंने अपने स्टाइल में मैच को फिनिश किया। धोनी ने छक्का लगाकर भारत को 28 साल बाद विश्वकप विजेता बनाया। 'बेस्ट फिनिशर' को इस मुकाबले में भी मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
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