नई दिल्ली: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के कामकाज में अपनी भूमिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। याचिका पिछले छह महीने के दौरान अपने प्रतिनिधियों के अवलोकन व अनुभव पर आधारित है।
याचिका में कहा गया है कि एक अलग दृष्टिकोण इस निगरानी के लिए बेहतर होगा और आवेदक सीएजी से संबंधित एक सीमित राहत के लिए प्रार्थना की जाती है। आईएएनएस के पास मौजूद याचिका की प्रतिलिपि में सीएजी ने कहा है कि उन्होंने बीसीसीआई शीर्ष परिषद और आईपीएल कार्यकारी परिषद के लिए प्रतिनिधि नियुक्त किए हैं और अब तक 18 राज्य संघों ने नामांकन का अनुरोध किया है, जिसके लिए सीएजी को नियुक्त किया गया है।
सीएजी के कानून के खिलाफ हैं नियुक्तियां
लेकिन वे पुनर्विचार के लिए अनुरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनमें से कुछ नियुक्तियां सीएजी के कानूनों के खिलाफ है और अधिकारियों पर अतिरिक्त बोझा डालती हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि बीसीसीआई में उनकी भूमिका उनकी विशेषज्ञता से अलग है।
कैग की याचिका पर टिप्पणी करते हुए बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि यह मुद्दा कभी भी खातों की ऑडिटिंग का था ही नहीं और शरारती तत्व एक हंगामा खड़ा करने के अवसर के रूप में देखते हैं।
अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, संघों को न केवल स्वयं के ऑडिट का बल्कि बीसीसीआई के ऑडिट का भी सामना करना पड़ता है। वे पहले से ही दो ऑडिट का सामना कर रहे हैं और यह बिल्कुल भी मुद्दा नहीं है। मुद्दा यह है कि कुछ लोग अपना प्रचार करने के लिए झूठी, भद्दी, और गलत शिकायतें दर्ज करवाते हैं जोकि प्रेरित होती है।
वर्तमान भूमिका उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र से है अलग
कैग ने अपनी याचिका में कहा, शीर्ष परिषद और कार्यकारी परिषद शासन के कार्यों के लिए होती है, और उन्हें प्रबंधन के निर्णय लेने की जरूरत होती है, जहो प्रशासनिक प्रकृति के हैं। जबकि कैग की विशेषज्ञता वित्तीय पारदर्शिता में है, इसलिए बीसीसीआई में कैग नामांकित व्यक्ति द्वारा निभाई गई वर्तमान भूमिका उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र से पूरी तरह से अलग है।
याचिका में आगे कहा गया है कि सीएजी नामित प्रतिनिधि शीर्ष परिषद या आईपीएल कार्यकारी परिषद का एक हिस्सा होने के नाते केवल एक सदस्य हैं, और चूंकि निर्णय बहुमत से लिए जाते हैं, इसलिए कैग के उम्मीदवार को शीर्ष परिषद या आईपीएल जीसी में सदस्य के रूप में शामिल करने का कोई मतलब नहीं है।
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