पाकिस्तानी क्रिकेट कई बार विवादों में रहा है और आज भी ये सिलसिला जारी है। लेकिन एक क्रिकेट मैच क्रिकेट इतिहास का ऐसा था जो शायद सबसे विवादित मुकाबलों की श्रेणी में शीर्ष पर रहेगा। वो मुकाबला था पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच 2006 में ओवल के मैदान पर खेला गया टेस्ट मैच। पाकिस्तानी टीम उस दौरान इंग्लैंड के दौरे पर थी और ओवल में टेस्ट सीरीज का चौथा मैच खेला जा रहा था। तभी इस मैच में कुछ ऐसा हुआ जिसने क्रिकेट जगत में खलबली मचा दी।
उस मैच में इंग्लिश टीम पहली पारी में 173 रन पर ऑलआउट हो गई थी। जवाब में पाकिस्तानी टीम ने शानदार बल्लेबाजी की और मोहम्मद यूसुफ के शतक के साथ-साथ ओपनर्स मोहम्मद हफीज और इमरान फरहत की 90 से ज्यादा रन वाली पारियों के दम पर 504 रन बना डाले। इसके बाद इंग्लैंड की टीम जब दूसरी पारी में पाकिस्तान को जवाब देने उतरी तो उनके बल्लेबाजों ने बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए 4 विकेट खोकर 298 रन बना लिए थे। तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे विवाद खड़ा हो गया।
उस टेस्ट के चौथे दिन पाकिस्तानी टीम को अंपायर डेरेल हार्पर ने तब कटघरे में खड़ा कर दिया जब उनको बॉल टैम्परिंग (गेंद से छेड़छाड़) का दोषी पाया गया। उन पर पांच रनों की पेनल्टी लगाने के साथ-साथ बॉल भी बदलनी पड़ी। पाकिस्तान अपनी चोरी पकड़ने से इतना निराश व नाराज हो गया कि चौथे दिन कप्तान इंजमाम उल हक ने अपनी टीम के साथ मैदान पर उतरने से मना कर दिया।
ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों को मैदान पर जाने से रोकने का फैसला कप्तान इंजमाम उल हक का ही था। लेकिन कुछ समय बाद उनको अहसास होने लगा कि वो बड़ी गलती कर रहे हैं। अचानक उन्होंनेे अपना फैसला पलटा और खिलाड़ियों के साथ दोबारा खेलने मैदान पर उतर गए लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।
जब तक पाक टीम मैदान पर आती, तब तक मैच में अंपारिंग कर रहे डेरेल हेयर और बिली डोक्ट्रोव के साथ-साथ मैच रेफरी माइक प्रोक्टर मैच को समाप्त घोषित कर चुके थे और साथ ही ये भी ऐलान किया जा चुका था कि इंग्लैंड को विजेता घोषित कर दिया गया है। पाकिस्तानी टीम पूरी तरह सन्न रह गई थी। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी टीम ने बिना पूरा मैच खेले ही विरोधी टीम के हाथों में जीत दे दी थी। ये सब कुछ आईसीसी के नियमों के तहत हुआ था और पाकिस्तानी टीम इन नियमों से पूरी तरह अंजान थी।
ये मैच तो खत्म हो गया था लेकिन विवाद ठंडा नहीं हुआ। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड इस विवाद में अपना पूरा जोर लगाता रहा। लेकिन ये उन्हीं पर भारी पड़ने वाला था। अचानक एक महीने बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की एक बैठक हुई जिसके बाद ये ऐलान किया गया कि उस टेस्ट मैच का नतीजा नहीं बदला जाएगा, बल्कि पाकिस्तान के कप्तान इंजमाम उल हक पर मैदान पर ना उतरने से खेल के अपमान का दोषी पाया गया और उन पर चार वनडे मैचों का प्रतिबंध लगा दिया गया।
बेशक आईसीसी ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की बात को तवज्जो नहीं दी गई लेकिन पीसीबी अड़ा रहा और तमाम बैठकों और चर्चाओं के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने दो साल बाद उस मैच का फैसला पलट दिया। ओवल में खेले गए उस विवादित टेस्ट मैच को आईसीसी ने इंग्लैंड के विजयी खाते से हटाकर उसे ड्रॉ घोषित कर दिया।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और उनकी टीम अभी ठीक से राहत की सांस ले ही पाई थी कि आईसीसी के ड्रॉ वाले फैसले के अगले साल फिर फैसला पलट दिया गया। दरअसल, क्रिकेट कानूनों व नियमों के संरक्षक मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) ने आईसीसी को अपने सुझाव दिए। नियमों को देखने व उस पर एक बार फिर चांज करने के बाद आईसीसी ने फिर से फैसला पलट दिया। अंपायरों व मैच रेफरी के फैसले को सही मानते हुए एक बार फिर इंग्लैंड को विजेता घोषित कर दिया गया। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में किसी भी मैच का नतीजा इतना नहीं टला, इतनी बार नहीं बदला।
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