भारतीय क्रिकेट इतिहास में आपने कई यादगार पारियां देखी होंगी। टेस्ट क्रिकेट में कई बल्लेबाजों को शतक जड़ते देखा होगा। किसी एक पारी में विरोधी गेंदबाजों की जमकर धुनाई होते देखा होगा। लेकिन वो एक ही पारी थी जब भारतीय खिलाड़ी ये सब कुछ एक साथ करते नजर आ रहे थे। वो भी विदेशी जमीन पर। आज ही दिन वो ऐतिहासिक टेस्ट मैच शुरू हुआ था जिसने फैंस का सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन किया था। वो मुकाबला था- 2007 का भारत-बांग्लादेश ढाका टेस्ट।
साल 2007 में भारतीय टीम बांग्लादेश के दौरे पर थी। राहुल द्रविड़ की कप्तानी में टीम इंडिया एक से एक दिग्गज खिलाड़ियों के साथ बांग्लादेशी टीम का सामना कर रही थी। सीरीज का पहला टेस्ट मैच ड्रॉ रहा था और भारतीय टीम किसी भी हालत में टेस्ट सीरीज का दूसरा मैच जीतना चाहती थी। दूसरा टेस्ट मैच ढाका में 25 मई को शुरू हुआ। इस मैच में मेजबान बांग्लादेश ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया।
भारतीय बल्लेबाजों का कहर..एक के बाद एक शतक
टॉस जीतकर बॉलिंग चुनने का फैसला मेजबान टीम के लिए बिल्कुल गलत साबित हुआ। दिनेश कार्तिक और वसीम जाफर की सलामी जोड़ी बैटिंग करने उतरी और उसके बाद फैंस ने एक के बाद एक चार ऐतिहासिक पारियों को देखा। ऐसा पहली बार हुआ जब एक ही पारी के शीर्ष चारों बल्लेबाजों ने शतक जड़ दिए हो। दिनेश कार्तिक ने 212 गेंदों में 129 रन बनाए, वसीम जाफर ने 229 गेंदों में 138 रन बनाए, कप्तान राहुल द्रविड़ ने 176 गेंदों में 129 रन बनाए जबकि महान सचिन तेंदुलकर ने 226 गेंदों में नाबाद 122 रनों की पारी खेली। इन चारों ने मिलकर 56 चौके और 2 छक्के लगाए।
पवेलियन लौटते रहे थे, लेकिन विकेट नहीं गिर रहे थे
जब उस पारी में भारत के शीर्ष चारों बल्लेबाज ने शतक जड़े थे, उसके साथ ही पहले विकेट के लिए एक अनोखी और सबसे बड़ी साझेदारी भी होने वाली थी। जिसे दो बल्लेबाज नहीं बल्कि कई बल्लेबाज अंजाम देने वाले थे। दरअसल, हुआ ये था कि सबसे पहले ओपनर्स वसीम जाफर और दिनेश कार्तिक ने 175 रनों की साझेदारी की लेकिन तभी कार्तिक के पैर में खिंचाव आया और वो पवेलियन चले गए। अब पिच पर राहुल द्रविड़ आए और विकेट अब भी शून्य थे। अब 281 रनों तक द्रविड़-जाफर खेलते रहे और फिर अचानक जाफर भी बीमार होने की वजह से पवेलियन लौट गए। अब सचिन तेंदुलकर पिच पर आए लेकिन अब भी विकेट शून्य ही थे क्योंकि दोनों बल्लेेबाज फिलहाल स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से पवेलियन लौटे थे। इसके बाद सचिन और द्रविड़ ने पारी आगे बढ़ाई और वे 326 के स्कोर तक खेले, इसी के साथ किसी तरह पहले दिन का खेल खत्म हुआ। स्कोर था- बिना विकेट गंवाए 326 रन।
दूसरे दिन गिरा पहला विकेट और 6 रन से रिकॉर्ड चूक गया
मैच के पहले दिन यानी 25 मई को काफी कुछ हो चुका था। तीन बल्लेबाज शतक जड़ चुके थे, दो चोटिल हो चुके थे, भारत बिना विकेट गंवाए 326 रन तक पहुंच गया था। दूसरे दिन सचिन और द्रविड़ ने फिर से पारी की शुरुआत की और अब भी आंकड़ों के हिसाब से पहले विकेट की पार्टनरशिप ही चल रही थी। अब पंकज रॉय-वीनू मांकड़ की 413 रनों की ऐतिहासिक ओपनिंग पार्टनरशिप रिकॉर्ड से सचिन-द्रविड़ सिर्फ 6 रन दूर थे लेकिन तभी द्रविड़ आउट हो गए। ये इस पारी में भारत का पहला विकेट गिरा था। इसके बाद जाफर तो नहीं लौटे लेकिन दिनेश कार्तिक दोबारा खेलने लौटे और उन्होंने अपना शतक पूरा किया।
जहीर खान ने गेंद से ढाया कहर, भारत को मिली बड़ी जीत
इन चारों के अलावा सौरव गांगुली 15 रन बनाकर आउट हुए जबकि महेंद्र सिंह धोनी ने नाबाद 51 रनों की पारी खेली थी। भारतीय टीम ने दूसरे दिन 3 विकेट पर 610 रन बनाने के बाद पारी घोषित कर दी। इसके बाद भारतीय गेंदबाजों ने कहर बरपाया। बांग्लादेश को पहली पारी में 118 रन पर समेटा जिसमें जहीर खान ने 5 विकेट और अनिल कुंबले ने 3 विकेट झटके। भारत ने बांग्लादेश को फॉलोऑन खिलाया और दूसरी पारी में उनको 253 रनों पर समेटते हुए पारी और 239 रनों से मैच जीतकर दो मैचों की सीरीज को 2-1 से अपने नाम किया। दूसरी पारी में जहीर खान ने 2 विकेट लिया। जहीर ने दोनों पारियां मिलाकर कुल 7 विकेट लिए और गेंदबाजों के लिए कठिन पिच मानते हुए उन्हें 'मैन ऑफ द मैच' चुना गया।
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