नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज और लोकसभा सांसद गौतम गंभीर ने कोरोना वायरस के कारण चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन के बीच इंसानियत की मिसाल पेश की है। साल 2007 और 2011 में टीम इंडिया की विश्व कप जीत में मुख्य भूमिका अदा करने वाले गंभीर आजकल आम तौर अपने आक्रामक बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं। लेकिन इस बार उन्होंने लीक से हटकर काम किया है।
लॉकडाउन के बीच पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने अपनी घरेलू सहायिका का अंतिम संस्कार किया। कोविड 19 महामारी के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण उसका पार्थिव शरीर ओडिशा नहीं पहुंचाया जा सका। दिवंगत सरस्वती पात्रा पिछले छह साल से गंभीर के घर पर काम कर रही थीं। उन्हें गंभीर ने ट्वीट कर श्रद्धांजली दी है।
गंभीर ने ट्वीट किया, 'मेरे बच्चों की देखभाल करने वाली घरेलू सहायिका नहीं हो सकती। वह परिवार का हिस्सा थीं। उनका अंतिम संस्कार करना मेरा फर्ज था। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि व्यक्ति किसी भी जाति, धर्म, वर्ग, सामाजिक दर्जे का हो, सम्मान का हकदार है। इसी से हम बेहतर समाज और देश बना सकते हैं। ओम शांति।'
रिपोट्स के अनुसार सरस्वती पात्रा 49 वर्ष की थीं और वह ओडिशा के जाजपुर जिले की रहने वाली थीं। वह डायबिटीज और हाइब्लड प्रेशर जूझ रही थीं और उन्हें कुछ दिन पहले गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने 21 अप्रैल को दम तोड़ा।
केंद्रीय पेट्रोलियम और इस्पात मंत्री धमेंद्र प्रधान ने गंभीर की तारीफ की है। ओडिशा के रहने वाले प्रधान ने कहा कि गंभीर के इस नेक काम से उन लाखों गरीबों के मन में इंसानियत पर विश्वास गहरा हो जायेगा जो आजीविका कमाने के लिये घर से दूर रहते हैं।
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