एडिलेड: पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर डेविड हसी एशियाई उपमहाद्वीप में ग्लेन मैक्सवेल को दिए गए सीमित अवसरों से हैरान हैं, जबकि ऑलराउंडर देश के लिए सफेद गेंद वाले क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं।
33 वर्षीय मैक्सवेल ने 2013 में डेब्यू के बाद से सिर्फ सात टेस्ट खेले हैं। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के चयन पैनल ने उनकी आक्रामक बल्लेबाजी को, सबसे लंबे प्रारूप में शामिल न करने का कारण बताया था। 2022 में व्यस्त शेड्यूल के तहत उपमहाद्वीपों में ऑस्ट्रेलिया पाकिस्तान, श्रीलंका और भारत के साथ विभिन्न प्रारूपों में खेलेगा। इस पर मेलबर्न स्टार्स के कोच हसी ने चयनकर्ताओं से टेस्ट में भी मैक्सवेल को अधिक अवसर देने के लिए कहा।
एशिया में मिलना चाहिए टेस्ट क्रिकेट में मौका
मैक्सवेल का टेस्ट में 26 का औसत है। उनको लेकर यह बताया गया है कि चयनकर्ता उन्हें उपमहाद्वीप के दौरों पर ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट टीम में जगह देने को लेकर विचार करेंगे। हसी ने शुक्रवार को स्पोर्ट्सडे को बताया कि, 'मैं इस बात से हैरान हूं कि उन्होंने (मैक्सवेल) कितना कम टेस्ट क्रिकेट खेले हैं, खासकर उपमहाद्वीप में। मुझे लगता है कि वह बेहतर खिलाड़ियों में से एक है। उन्हें टेस्ट टीम में भी जगह मिलनी चाहिए।'
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चार साल से नहीं खेला है टेस्ट क्रिकेट
एशिया में मैक्सवेल ने 2017 में आखिरी बार टेस्ट मैचों में शिकरत की थी। वो मैच उन्होंने चटगांव में बांग्लादेश के खिलाफ खेला था। मैक्सवेल ने अबतक खेले 7 टेस्ट मैच की 14 पारियों में 1 बार नाबाद रहते हुए 26.07 की औसत से 339 रन बनाए हैं। इस दौरान उनके बल्ले से केवल 1 शतक निकला है। ये पारी भी उन्होंने भारत के खिलाफ रांची में मार्च 2017 में खेली थी। उस मैच में उन्होंने 185 गेंद में 104 रन बनाए थे। टेस्ट क्रिकेट में मैक्सवेल के नाम 8 विकेट भी दर्ज हैं। चार साल से मैक्सवेल को टेस्ट जर्सी पहनने का मौका नहीं मिला है।
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