नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट में कप्तानी की बात की जाए तो हाल के कुछ दशकों में सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी और अब विराट कोहली का दबदबा रहा है। आखिर इनमें कौन सबसे बेहतर है और किसकी क्या खासियत है, ये एक बहस का मुद्दा रहा है। इंग्लैंड के पूर्व ऑलराउंडर डेविड लॉयड का मानना है कि सौरव गांगुली के समय भारतीय टीम देश के साथ-साथ विदेश में भी एक मजबूत टीम की पहचान के साथ उभरी। लॉयड इंग्लैंड की उस टीम का हिस्सा थे जिसने 1976 के लॉर्डस टेस्ट में भारत को उसके सबसे कम स्कोर 42 रन पर आलआउट कर दिया था।
लॉयड ने सोनी टेन पिट शॉप के फेसबुक पेज पर बात करते हुए कहा, वर्षों से भारतीय क्रिकेट में एक प्रयास बन गया कि तेज गेंदबाजों को ढूंढा जाए और शायद कपिल देव ने इसका नेतृत्व किया। जवागल श्रीनाथ एक अद्भुत तेज गेंदबाज थे।
उन्होंने कहा, उनके पास अद्भुत स्पिनर थे लेकिन शायद यह अहसास था कि हमें कुछ और चाहिए। और उस विकास का मतलब था बेहतर फिटनेस, बेहतर जागरूकता और सीनियर खिलाड़ियों का प्रयास कि हमें कुछ जल्दी की जरूरत है।
लॉयड ने कहा, मुझे लगता है कि जब गांगुली ने टीम को संभाला, तो उन्होंने टीम को एक असली मजबूती दी। वह यह था कि हम दूसरों की तेज गेंदबाजी से निर्धारित नहीं होंगे क्योंकि हम अपने खुद के खोजने होंगे। रास्ता खुद बनाना होगा। भारत में भारत के खिलाफ खेलना बहुत मुश्किल होता था लेकिन है लेकिन आपको हमेशा महसूस होता था कि भारतीय टीम के खिलाफ उसके घर से बाहर आपके पास एक मौका होता है।
उन्होंने साथ ही कहा कि मौजूदा कप्तान विराट कोहली भारत को एक दूसरे स्तर पर लेकर गए हैं। पूर्व क्रिकेटर ने कहा, मुझे लगता है कि गांगुली का भारतीय क्रिकेट पर काफी प्रभाव रहा है और विराट कोहली इसे दूसरे स्तर पर ले गए हैं। एक खिलाड़ी के रूप में अपनी महानता के अलावा कोहली एक महान कप्तान भी हैं और उन्हें कुछ भी नहीं खोने का डर है। कोहली के बारे में मेरा खुद का मानना है कि वह मैच जीतने के लिए हैं न कि अपने लिए रन जुटाने के लिए।
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