भारतीय क्रिकेट प्रशासन में चयन समिति व उसके मुख्य चयनकर्ता का काम हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। इतने बड़े देश में चुनिंदा खिलाड़ियों को चुनना और फिर उनमें से भी तय करना कि कौन रहेगा बाहर, कौन रहेगा अंदर..ऐसी तमाम चुनौतियों का सामना करना आसान नहीं है। बीसीसीआई की राष्ट्रीय सीनियर चयन समिति के पूर्व प्रमुख चयनकर्ता एमएसके प्रसाद को अपने कार्यकाल के दौरान कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। अब जब उनके बनाई रणनीति काम आती दिख रही है तो उन्होंने भी जमकर भड़ास निकाल दी है।
एक समय ऐसा था जब एमएसके प्रसाद ने कुछ समय के लिए महेंद्र सिंह धोनी जैसे दिग्गज खिलाड़ी को टीम से बाहर रखने का फैसला किया था और हर तरफ उनकी आलोचनाएं हुई थीं। ये आलोचनाएं सिर्फ इस बात को लेकर नहीं थीं कि खुद प्रसाद ने कितना क्रिकेट खेला है, बल्कि इस बात को लेकर भी थी कि धोनी और फिर रिद्धिमान साहा की मौजूदगी में भी जिस खिलाड़ी को आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही थी, उससे बहुत से लोग सहमत नहीं थे। वो खिलाड़ी थे युवा विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत।
सिर्फ सीमित ओवर क्रिकेट ही नहीं, टेस्ट क्रिकेट में जब रिषभ पंत का चयन किया गया तो बहुत से लोगों ने एमएसके प्रसाद के फैसले की आलोचना की थी। अब आज जब रिषभ पंत देश-विदेश में भारत की सफेद जर्सी पहनकर धूम मचा रहे हैं, तो एमएसके को भी करारा जवाब देने का मौका मिल गया है। एमएसके ने क्रिकेट.कॉम से इस बारे में बातचीत करते हुए कहा, "यही चर्चा है जो हम उत्तराधिकारी को लेकर करते हैं। जब हमने इस खिलाड़ी (पंत) को चुना तो बहुत विवाद हुआ। लोगों ने कहा वो टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी नहीं कर सकता और चुनौतीपूर्ण पिचों पर कीपिंग नहीं कर सकता। तो अब क्या हुआ?"
पंत के बारे में बात करते हुए प्रसाद ने आगे कहा, "देखिए कैसे उसने घरेलू सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ कीपिंग की और किस तरह उसने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के कठिन हालातों में बल्लेबाजी करके दिखाई। एक चयनकर्ता की भूमिका प्रतिभा को पहचानने की होती है। बहुत से लोगों को संदेह था कि पंत कभी इतना अच्छा नहीं खेल सकता।"
धोनी के बाद रिद्धिमान साहा ऐसा विकल्प था जिसको लेकर लोग आश्वस्त नजर आ रहे थे। लेकिन प्रसाद की अध्यक्ष्ता वाली चयन समिति ने विदेशी दौरों पर रिषभ पंत को मौका देने का फैसला किया और ये फॉर्मूला काम कर गया। इस बारे में प्रसाद ने कहा, "शुरुआत में जब हमने पंत को चुना, उस समय साहा देश के सर्वश्रेष्ठ कीपर थे, खासतौर पर अपनी विकेटकीपिंग क्षमताओं के लिए। बाद में हमने ये मंजूर किया कि पंत विदेशी दौरे पर खेलेंगे क्योंकि वहां आपकी कीपिंग से ज्यादा आपकी बल्लेबाजी की परीक्षा होती है। ऑस्ट्रेलिया में अच्छे प्रदर्शन के बाद पंत ने टीम प्रबंधन को बताने की कोशिश की, कि उनको घरेलू सीरीज में भी मौका दिया जाए और इस साल इंग्लैंड के खिलाफ भारत में उन्होंने जैसा प्रदर्शन किया, वो सभी ने देखा।"
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