टीम इंडिया के पूर्व मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद का कहना है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय क्रिकेट के भविष्य को देखते हुए लेजेंड खिलाड़ियों के खिलाफ फैसले लिए थे। एक समय ऐसा आया था जब उन्होंने धोनी जैसे खिलाड़ी को भी टीम से बाहर बैठाने का कड़ा फैसला लिया, जबकि उन्हीं के समय पर धोनी का संन्यास भी सुर्खियों में रहा था। प्रसाद का कार्यकाल मार्च में खत्म हुआ था।
एमएसके प्रसाद से पूछा गया कि क्या उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान पूर्व कप्ताम महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास लेने को लेकर निपटना पड़ा था। प्रसाद ने कहा, "चयनकर्ता के रूप में आपको भारतीय क्रिकेट के भविष्य को देखते हुए कुछ कड़े फैसले लेने होते हैं जिसमें लेजेंड खिलाड़ियों के खिलाफ भी जाना पड़ता है।"
सही उत्तराधिकारी चुनना मुख्य काम
उन्होंने कहा, "सही उत्तराधिकारी की पहचान करना चयनकर्ता का मुख्य काम होता है। चयनकर्ता के तौर पर आपको निष्पक्ष होना पड़ता है और कड़े फैसले लेते वक्त भावनाओं पर काबू रखना होता है। धोनी और सचिन तेंदुलकर जैसा अन्य कोई नहीं हो सकता क्योंकि ये अलग खिलाड़ी हैं और इनके योगदान का कोई मूल्य नहीं है।"
जब टीम के सात बड़े खिलाड़ी नहीं खेल रहे थे..
प्रसाद ने कहा, "आपको वो करना होता है जिसे करने के लिए बुलाया है। टीम के सात बड़े खिलाड़ी नहीं खेल रहे थे इसके बाद भी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर इंडिया ए के युवा खिलाड़ियों को इनकी जगह शामिल किया गया और टीम ने जीत हासिल की तो यह हमारी मेहनत की बड़ी उपलब्धि है।"
टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में टीम इंडिया, हमारा भी छोटा सा योगदान
उन्होंने कहा कि उन्हें काफी खुशी है कि भारतीय टीम ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई है। प्रसाद ने कहा, "आपको इस बात से कितनी खुशी और संतुष्टि मिली है इसमें कई दो राय नहीं है। चयन के तौर पर हमने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में जगह बना पाई उसमें हमने अपना छोटा सा योगदान दिया। यह टीम इसकी हकदार थी क्योंकि टीम इंडिया पिछले चार साल से नंबर एक टेस्ट टीम है। मैं अब फाइनल मुकाबला देखने का इंतजार नहीं कर पा रहा हूं।"
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