हैदराबाद: हनुमा विहारी ने कुछ बेहतरीन पारियां खेलकर भारतीय टेस्ट टीम में अपनी जगह स्थापित की है। उन्होंने 2018 में इंग्लैंड के कड़े दौरे पर टेस्ट डेब्यू किया और अब तक वह 9 टेस्ट का अनुभव प्राप्त कर चुके हैं। हनुमा ने अपनी बल्लेबाजी में सुधार से कई लोगों को काफी प्रभावित किया है और उनसे उच्च स्तर पर लंबी पारी खेलने की उम्मीदें बंधी हुई है। हालांकि, सफलता बिना समझौते के नहीं मिलती और यह काम विहारी की मां विजयलक्षी ने किया।
आंध्र प्रदेश के बल्लेबाज ने बचपन से ही भारत के लिए खेलने का सपना देखा था और उनके पड़ोस के लोगों का भी यही मानना था। मगर जब हनुमा विहारी 12 साल के थे जब उन पर दुखो का पहाड़ टूटा क्योंकि पिता सत्यनारायण का निधन हो गया। मगर मां ने बेटे के हौसले को डगमगाने नहीं दिया और भरोसा दिलाया कि वह अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करे। क्रिकबज से बातचीत में हनुमा विहारी ने खुलासा किया कि उनकी शुरुआती जिंदगी कैसी थी और मां ने यहां तक पहुंचने के लिए कितनी मेहनत की। विहारी ने कहा, 'मेरी मां को एक बात जो परिभाषित करती है, वह है कि वो बहुत साहसी हैं। वह कभी घबराती नहीं हैं। आप कह सकते हैं कि यह उनकी पहचान है।'
मेरी जिम्मेदारी थी: विजयलक्षी
विजयलक्षी ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि जब उनके पति का देहांत हुआ तो उस समय हनुमा विहारी अंडर-13 क्रिकेट में दमदार प्रदर्शन नहीं कर रहे थे। तब उन्हें समझ आया कि बेटे को प्रदर्शन में सुधार करने के लिए ज्यादा अभ्यास की जरुरत है। इसके लिए मां ने बेटे के लिए क्रिकेट पिच तैयार कराई। मां को पिता के देहांत के बाद उनकी कंपनी से जो पैसे मिले थे, उससे उन्होंने क्रिकेट पिच तैयार कराई।
विजयलक्षी का मानना है कि बेटे को समर्थन करने की जिम्मेदारी उनकी थी और वह इसे कभी समझौता नहीं मानती। यह हनुमा विहारी के लिए कारगर साबित हुआ और अगली बार जब वह अंडर-13 राज्य स्तर पर खेले तो प्रतिस्पर्धा में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बने।
विजयलक्षी ने कहा, 'मेरे पति के देहांत के बाद उनकी कंपनी से क्षतिपूर्ति के रूप में लंप-सम रकम मिली। उस समय हनुमा अंडर-13 क्रिकेट खेल रहा था, लेकिन उसका प्रदर्शन अच्छा नहीं था। मुझे पता था कि उसे अभ्यास के लिए नेट्स से भी ज्यादा समय चाहिए। इसलिए मैंने फैसला किया कि पैसों से बेटे के लिए क्रिकेट पिच तैयार कराऊं। अगली बार जब वह अंडर-13 राज्य स्तर पर खेला तो टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाए। मुझे लगा कि प्रयास सफल हुए।' विहारी ने अब तक भारत के लिए 9 टेस्ट में चार अर्धशतक और एक शतक की मदद से 552 रन बनाए। उनकी औसत 37 के करीब रही।
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