हिमांशु पांड्या के संघर्ष और विश्वास में छिपी थी क्रुणाल और हार्दिक की सफलता की कहानी

हार्दिक पांड्या और क्रुणाल पांड्या को टीम इंडिया का स्टार बनाने में जिस शख्स की सबसे अहम भूमिका रही उनका देहांत शनिवार को हो गया।

hardki and Krunal with father himanshu
पिता हिमांशु के साथ हार्दिक और क्रुणाल पांड्या 
मुख्य बातें
  • पिता ने हार्दिक और क्रुणाल पांड्या को क्रिकेटर बनाने के लिए पिता ने बहुत मेहनत की
  • उनके योगदान को दोनों भाई हमेशा करते रहे हैं स्वीकार
  • पिता को खुद भी नहीं था यकीन इतनी ऊंचाई तक जाएंगे उनके बेटे

नई दिल्ली: 16 जनवरी 2021 का दिन टीम इंडिया के लिए खेलने वाले हार्दिक और क्रुणाल पांड्या के जीवन का संभवत: सबसे दुखद दिन था। पांड्या ब्रदर्स ने शनिवार को अपने पिता को खो दिया जिन्होंने उनके जीवन का पूरा ताना बाना बिना था। आज दोनों भाई जो कुछ भी हैं वो अपने पिता के संघर्ष, मेहनत और त्याग की वजह से हैं जिन्होंने महज 6 साल की उम्र में ही अपने बच्चों की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें उड़ान भरने के लिए पंख देने के लिए सूरत से वडोदरा रहने आ गए। दोनों भाई सफलता के शिखर पर पहुंचने के बाद भी कई बार कई इंटरव्यू में कह चुके हैं दोनों की सफलता का पूरा श्रेय उनके पिता को जाता है। 

6 साल की उम्र में पहचानी प्रतिभा, सूरत से पहुंचे बड़ौदा 
हिमांशु सूरत में कार फाइनेंस का छोटा सा बिजनेस चलाते थे। लेकिन अपने बच्चों को क्रिकेटर बनाने के लिए वो बड़ौदा आ गए। बड़ौदा आने का फैसला पांड्या बधुओं के पिता ने किरण मोरे अकादमी के मैनेजर ने क्रुणाल पांड्या को सूरत के रांदेड़ जिमखाना क्लब में खेले गए एक मैच में बरार आए और उन्होंने वहां खेलता देखा। तो वो मेरे पास आए और कहा कि आप इसे बड़ौदा लेकर आए। इसका फ्यूचर अच्छा है। इस घटना के 10-15 दिन बाद वो बड़ौदा आ गए और क्रुणाल को किरण मोरे की अकादमी में दाखिला दिला दिया। यहां से उनकी क्रिकेटर बनने की यात्रा की शुरुआत हुई। क्रुणाल ने इस बारे में कहा कि मैंने कभी ये नहीं सुना कि छह साल के बच्चे में प्रतिभा देखकर एक शहर से दूसरे में जाना ऐसा बहुत कम होता है। 

गेंदबाजों के लिए विकेट लेने पर रखा 100 रुपये का ईनाम
जब क्रुणाल 13 साल के थे तब पिता का उनकी क्रिकेट में पूरा इन्वॉल्वमेंट था। जहां मैच होता था वो वहां जाते थे। जब क्रुणाल 10 साल के थे तब हिमांशु पांड्या दोनों भाईयों को बाइक पर बड़ौदा से नडियाड कॉलेज ग्राउंड अभ्यास के लिए लेकर जाते थे। 50 किमी दूर उस कॉलेज में उन्होंने गेंदबाजों से कहा था कि यदि आप इसे(क्रुणाल) को आउट करेंगे तो मैं आपको 100 रुपये दूंगा। लेकिन एक डेढ़ घंटे गेंदबाजी करने के बाद भी क्रुणाल को कोई आउट नहीं कर पाता था। उस वक्त हार्दिक छोटे थे।

पिता ने नहीं सोचा था इतनी दूर तक जाएंगे 
पिता ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैंने दोनों भाईयों के लिए बैकअप करियर के बारे में कभी नहीं सोचा था। बस इतना सोचा था कि ये दोनों इतना आगे जाएंगे। मैंने सोचा था कि नॉर्मल लेवल पर जाएंगे। कुछ अच्छी जॉब मिल जाएगी और वो लोग खुद का गुजारा कर सकते हैं ये मैंने सोचा था।  

पिता थे फैमली की डॉन सुपर स्टार
क्रिकबज को दिए एक इंटरव्यू में क्रुणाल ने कहा था कि पिता ही उनके घर के डॉन सुपर स्टार सबकुछ हैं। पिता के बारे में किस्सा सुनाते हुए उन्होंने बताया था कि आईपीएल के दौरान जब पिता मैच देखने मुंबई आते हैं तो वो खिलाड़ियों को होटल से स्टेडियम रवाना होने से पहले क्राउड के बीच में आकर खड़े हो जाते थे। इसके बाद जब खिलाड़ी बस में चढ़ते तो वो दोनों को(क्रुणाल और हार्दिक) को आवाज देकर बुलाते। इसके बाद दोनों से गले मिलते ऐसे में लोग पूछते कि आप कौन हैं तो वो बताते थे कि दोनों का पिता हूं। इस तरह वो खुद का लोगों के बीच करते थे। 

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | क्रिकेट (Cricket News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

अगली खबर