नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद यानी आईसीसी की बुधवार को हुई वर्चुअल बोर्ड मीटिंग मे सबसे बड़ा फैसला ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी में खेले जाने वाले टी20 विश्व कप के आयोजन के बारे में किया जाना था। इस फैसले को आईसीसी बोर्ड ने एक महीने के लिए टालने का फैसला किया। इसके बाद कई अन्य मुद्दों पर मीटिंग में गहन चर्चा हुई। जिसमें भारत में आईसीसी की प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए टैक्स छूट का मुद्दा भी शामिल था।
आईसीसी बोर्ड ने बीसीसीआई को टूर्नामेंटों की मेजबानी के लिये अनिवार्य कर छूट हासिल करने के लिये छह महीने का समय और दे दिया है। बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के लिये यह बैठक अच्छी रही क्योंकि 2016 टी20 विश्व कप से चला आ रहा कर छूट का मामला खत्म होने की ओर बढ़ता दिख रहा है।
बोर्ड के एक अनुभवी अधिकारी ने कहा, 'छह महीने और समय मिलने का मतलब है कि बीसीसीआई और आईसीसी के बीच बातचीत सार्थक रही। कर में छूट देना सरकार का काम है। केंद्र सरकार 2021 टी20 विश्व कप के लिये रातोरात छूट नहीं दे सकती। आईसीसी चेयरमैन को यह बखूबी पता होगा।' आईसीसी की विवाद निपटान समिति 2016 टी20 विश्व कप में कर छूट के तौर पर 23.7 मिलियन डॉलर देने के बीसीसीआई के मामले पर पहले ही सुनवाई कर रही है।
आईसीसी दे चुका है मेजबानी वापस लेने की धमकी
आईसीसी बीसीसीआई को टैक्स छूट के मसले पर पहले ही 2021 टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी वापस लेने की धमकी दे चुका है। बोर्ड को भारत सरकार से पहले से ही टैक्स में छूट के लिए स्वीकृति हासिल करने के लिए कहा था। ताकि आईसीसी भविष्य में किसी भी तरह के वित्तीय नुकसान से बच सके। लेकिन कोरोना महामारी के कारण बीसीसीआई तय समय सीमा में इसका समाधान नहीं कर सका। ऐसे में आईसीसी ने बीसीसीआई को मेल करके कहा था कि यदि वो इस विवाद का समाधान नहीं निकाल सका तो उसके पास मेजबानी किसी और देश को देना का अधिकार है। आईसीसी ने बीसीसीआई को टैक्स छूट मामले पर 18 मई 2020 तक बगैर शर्त के पुष्टि करनी थी।
साल 2011 में भारत ने आईसीसी विश्व कप की मेजबानी की थी। उस वक्त बीसीसीआई अध्यक्ष शरद पवार ने टैक्स छूट मनमोहन सिंह सरकार से हासिल कर ली थी। लेकिन साल 2016 में टी20 विश्व कप की मेजबानी के लिए ऐसा नहीं हो सका। और आईसीसी को 125 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था।
नहीं मिली छूट तो होगा 300 करोड़ का नुकसान
बीसीसीआई को साल 2021 में टी20 विश्व कप और 2023 में वनडे विश्व कप की मेजबानी करनी है। ऐसे में इन दोनों टूर्नामेंट का मेजबान बने रहने के लिए बीसीसीआई को टैक्स छूट हासिल करनी ही होगी। नहीं तो दोनों वैश्विक टूर्नामेंट की मेजबानी से भारत को हाथ धोना पड़ेगा। यदि भारत सरकार से छूट नहीं मिलती है तो कुल मिलाकर आईसीसी को तकरीबन 300 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। ऐसे में अब सबकी नजर गृह मंत्री अमित शाह के बेटे और बीसीसीआई के सचिव जय शाह पर टिक गई है। उनके जरिए ही बोर्ड पीएमओ से मामले में हस्तक्षेप करने को कह सकता है। लेकिन आईसीसी द्वारा 6 महीने का समाधान के लिए दिया अतिरिक्त समय बीसीसीआई के इस मामले में राहत भरा साबित हो सकता है।
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