भारत और अफगानिस्तान के बीच बुधवार शाम अबु धाबी में खेला गया मुकाबला कई मायनों में खास रहा। टीम इंडिया ने इस करो या मरो वाले मैच में 66 रनों से जीत दर्ज की, जो भारत की टी20 विश्व कप इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी जीत साबित हुई। बेशक सामने अफगानिस्तान की टीम थी लेकिन आजकल कोई भी इस टीम को कमजोर नहीं मानता है क्योंकि ये टीम भी बड़े उलटफेर करने में सक्षम है। वहीं, जीत के अलावा टीम इंडिया को सेमीफाइनल में जाने की गणित को ध्यान में रखते हुए अपना नेट रन रेट भी सुधारना था। भारत के दोनों मकसद पूरे हुए और तीन सीख भी मिल गईं।
किसी भी टीम की ताकत उसका टीम संयोजन होता है। चयनकर्ता टीम को चुनकर अपना काम पूरा कर देते हैं लेकिन उसके बाद कप्तान और टीम प्रबंधन को तय करना होता है कि टीम संयोजन कैसा रहेगा, कौन मैदान पर उतरेगा, कब उतरेगा और किसका प्रभाव कितना रह सकता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पिछले कुछ समय से भारतीय कप्तान विराट कोहली की इन फैसलों को लेकर आलोचनाएं होती आई हैं। कई बार ऐसा हुआ है जब टीम की असफलता के बाद उनके कुछ फैसले निशाने पर आए हैं। बुधवार को मिली जीत में उनके लिए एक बड़ा सबक था, इन तीन खिलाड़ियों पर भरोसा करो।
न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 विश्व कप 2021 के अपने दूसरे मुकाबले में भारतीय टीम के कप्तान ने एक ऐसा फैसला लिया जिससे अधिकतर लोग सहमत नहीं थे और जब मैच में टीम इंडिया को करारी हार मिली तो खुद कप्तान और टीम प्रबंधन को भी भरोसा हो गया कि ये फैसला सही नहीं था। दरसअल, भारत ने उस मैच में रोहित शर्मा को तीसरे नंबर पर खिसकाते हुए ईशान किशन से ओपनिंग करवाई। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आगाज करने वाले ईशान किशन सिर्फ एक चौका जड़कर पवेलियन लौट गए। नतीजतन देखते-देखते भारत का पूरा बल्लेबाजी क्रम लड़खड़ा गया और एक अहम मुकाबले में भारत को हार मिली।
बुधवार को इस गलती को सुधारा गया और रोहित शर्मा दोबारा ओपनिंग करने उतरे। उन्होंने अफगानिस्तान के खिलाफ इस मैच में 74 रनों की धुआंधार पारी खेली, राहुल के साथ 140 रन की साझेदारी की और भारत ने उनके दम पर मैच भी जीता। विराट को सीख मिली है कि रोहित जैसे खिलाड़ी के साथ प्रयोग ठीक नहीं।
अफगानिस्तान के खिलाफ जीत में विराट कोहली और टीम प्रबंधन को दूसरी सबसे बड़ी सीख मिली भारतीय स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को लेकर। अश्विन ने बुधवार को लंबे समय बाद टी20 एकादश में वापसी की। उनको अपने पिछले टी20 मैच से लेकर इस मैच तक 65 मुकाबलों का इंतजार करना पड़ा। इसके अलावा टेस्ट क्रिकेट में भी इंग्लैंड के खिलाफ विराट ने अश्विन को पूरी सीरीज बाहर रखा जिसके लिए उनकी कड़ी आलोचना हुई। वो मौजूदा समय में भारत के सबसे अनुभवी और सबसे सफल स्पिनर हैं लेकिन उनको नजरअंदाज किया गया। बुधवार को जब नीली जर्सी में वो एक बार मैदान पर उतरे तो अश्विन सबसे किफायती गेंदबाज साबित हुए। उन्होंने 4 ओवर में सिर्फ 14 रन लुटाए और साथ ही 2 अहम विकेट भी झटके।
विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट को तीसरी सीख मिली अपने तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को लेकर। इस भारतीय तेज गेंदबाज को पाकिस्तान के खिलाफ हार के बाद तमाम कारणों से सोशल मीडिया पर निशाना बनाया गया था लेकिन कप्तान विराट कोहली ने खुलकर अपने इस खिलाड़ी का समर्थन किया। उनको न्यूजीलैंड के खिलाफ अगले मुकाबले में टीम में जगह दी गई लेकिन जब मैच की बारी आई तो एक ओवर में 11 रन पिटने के बाद शमी को गेंदबाजी करने का दोबारा मौका नहीं दिया गया। कप्तान को अपने इस अनुभवी पेसर पर भरोसा करना होगा। अफगानिस्तान के खिलाफ वो सबसे सफल गेंदबाज साबित हुए। शमी ने इस मैच में 4 ओवर किए और 32 रन देते हुए 3 विकेट झटके।
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