अगर आपने एक दशक से ज्यादा राष्ट्रीय टीम को अपनी सेवाएं दी हों। सबसे लंबे प्रारूप में आपके पास 99 मैचों का अनुभव और 302 विकेट जैसे रिकॉर्ड सफलताएं हो..और तब भी सीमित ओवर क्रिकेट टीमों (वनडे और टी-20) में चुना जाए, तो जाहिर तौर पर ये किसी भी दिग्गज खिलाड़ी के लिए झटके जैसा होगा। ईशांत शर्मा इसी दर्द को लंबे समय से झेलते आ रहे हैं। मंगलवार से शुरू होने वाला भारत-इंग्लैंड तीसरा टेस्ट उनका 100वां टेस्ट मैच होगा, इस बड़े मैच से पहले उन्होंने अपना दर्द भी बयां कर दिया।
ईशांत शर्मा सीमित ओवरों की टीम का हिस्सा नहीं है और आईपीएल में भी कुछ सत्र बाहर रहे। क्या इससे भी टेस्ट क्रिकेट में करियर लंबा करने में मदद मिली, ये पूछने पर ईशांत ने एक ऐसा जवाब दिया जो अपने आप में काफी कुछ कहता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे अभिशाप में वरदान की तरह लेता हूं। ऐसा नहीं है कि मैं सीमित ओवरों का क्रिकेट खेलना नहीं चाहता लेकिन जब खेलने का मौका नहीं हो तो सबसे अच्छा है कि अभ्यास जारी रखे।’’
मैं 32 का हूं, 42 का नहीं
उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं चाहता कि वनडे में चयन नहीं होने से टेस्ट क्रिकेट में प्रदर्शन पर असर पड़े। कम से कम मुझे शुक्रगुजार होना चाहिये कि मैं एक प्रारूप तो खेल रहा हूं।’’ ईशांत ने यह भी कहा, ‘‘इसके यह मायने नहीं है कि अगर तीनों प्रारूप खेलता तो मैं सौ टेस्ट नहीं खेल पाता। शायद थोड़ा समय ज्यादा लगता। मैं 32 साल का हूं, 42 का नहीं।’’
ईशांत का वनडे करियर
मैच - 80
विकेट - 115
बेस्ट प्रदर्शन - 4/34
4 विकेट - 6 बार
आखिरी वनडे मैच - भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया (सिडनी, जनवरी 2016)
मैच - 14
विकेट - 8
बेस्ट प्रदर्शन - 2/34
आखिरी टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच - भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया (राजकोट, अक्टूबर 2013)
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