इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने जुलाई-अगस्त में पहली बार 'द हंड्रेड' का आयोजन किया। इंग्लिश क्रिकेट लीग में एक पारी 100 गेंदों तक सीमित है। इसमें कई स्टार क्रिकेटर्स ने अपना दमखम दिखाया। हालांकि, टूर्नामेंट की जमकर आलोचना भी हो रही है। कई लोगों को इसके नियम तो कइयों को यह फॉर्मेट में पसंद नहीं है। इस कड़ी में अब एक और नाम डॉन रूट का जुड़ा गया है, जो इंग्लैंड टेस्ट टीम के के कप्तान जो रूट के दादा हैं। डॉन रूट ने 'द हंड्रेड' की कोरोना वायरस से बेहद अजीबोगरीब तुलना की है।
'हंड्रेड टेस्ट में इंग्लैंड के पतन का कारण'
डॉन रूट ने कहा कि 'द हंड्रेड' हमारे बीच आ चुका है। कोरोना है और इसका भी स्वागत है। हमें क्रिकेट को जमीनी स्तर पर फलने-फूलने देने के लिए अधिक धन आकर्षित करने की आवश्यकता के बारे में लगातार भाषण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हंड्रेड टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड के पतन का कारण बना है। बता दें कि इंग्लैंड को अपनी सरजमीन पर भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। भारत ने सीरीज में 2-1 की बढ़त बनाई, जिसके बाद आखिरी टेस्ट रद्द हो गया।
'लाल और सफेद गेंद क्रिकेट में असमानता'
उन्होंने कहा कि जाहिर है सफेद गेंद क्रिकेट से किसी न किसी रूप में कमाई को बढ़ाया जा सकता है। लेकिन टेस्ट क्रिकेट की किस कीमत पर? ईसीबी की नई नीति के नतीजे टेस्ट सीरीज में देखे जा सकते हैं। रूट ने कहा कि देश में इस समय लाल और सफेद गेंद वाले क्रिकेट में असमानता है। उन्होंने कहा, 'बेशक हर खेल को अच्छे वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है, लेकिन क्या हमारे पास इस समय वित्तीय जरूरतों और मैदान पर प्रदर्शन के बीच संतुलन है? जहां तक टेस्ट यानी रेड बॉल क्रिकेट का सवाल है तो मुझे ऐसा नहीं लगता।'
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