भुवनेश्वर कुमार ने कहा, उन्होंने एमएस धोनी से ली मैच के दौरान ऐसा करने की सीख 

Bhuvnehwar Kumar's learning Lession from MS Dhoni: टीम इंडिया के स्टार गेंदबाज भुवनेश्व कुमार ने बताया कि कौन सा पल साबित हुआ उनके करियर का टर्निंग व्वाइंट और धोनी से हासिल की ये बड़ी सीख।

bhuvi dhoni
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नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम की पिछले चार से पांच साल में मिली सफलता में यदि किसी का योगदान सबसे अधिक रहा है तो वो भारतीय गेंदबाजों का रहा है। बल्लेबाजी तो पहले ही भारतीय टीम की मजबूत कड़ी रही है लेकिन टीम को संतुलित शानदार पेस अटैक के आने के बाद हुआ है। जसप्रीत बुमराह, इशांत शर्मा, मोहम्मद शमी, उमेश यादव और भुवनेश्वर कुमार टीम इंडिया के पेस अटैक की अहम कड़ी हैं। 

भुवनेश्वर कुमार सीमित ओवरों की भारतीय टीम के अहम सदस्य हैं। अपनी किफायती गेंदबाजी के बल पर भुवी ने विरोधी टीमों को कई बार धूल चटाई है। ऐसे में उन्होंने कहा है कि आईपीएल टीम सनराइजर्स हैदराबाद के लिये खेलना उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट रहा क्योंकि इसी दौरान उन्होंने अंतिम ओवरों में गेंदबाजी के दबाव से निपटना सीखा।

सनराइर्स के लिए खेलना रहा टर्निंग प्वाइंट
भुवनेश्वर ने कहा कि उनके अंदर हमेशा से यॉर्कर गेंद फेंकने की काबिलियत थी लेकिन 2014 में सनराइजर्स टीम से जुड़ने के बाद उन्होंने महत्वपूर्ण क्षणों में इसे फेंकने का हुनर सीखा। उन्होंने कहा, मैं यॉर्कर गेंद डाल सकता था लेकिन फिर मैं इसे भूल गया। सनराइजर्स हैदराबाद में वे मुझसे पारी की शुरुआत और अंत में गेंदबाजी कराना चाहते थे। 2014 में मैंने 14 मैच खेले, मैंने इस दौरान दबाव से निपटना सीखा और यह टर्निंग प्वाइंट रहा। मैंने नयी चीजें सीखीं, विशेषकर अंतिम ओवरों में दबाव से निपटना सीखा (सनराइजर्स के लिये खेलते हुए)।'

धोनी से ली ये बड़ी सीख 
साल 2012 में डेब्यू करने वाले 30 वर्षीय भुवनेश्नर अब तक भारत के लिए 8 साल के करियर में 114 वनडे, 43 टी20 और 21 टेस्ट मैच खेल चुके हैं। उनके नाम वनडे में 132, टेस्ट में 63 और टी20 में 41 विकेट झटक चुके हैं। भुवनेश्वर ने कहा कि जब वह खुद को मैचों में नतीजों के बारे में सोचने से दूर रखते हैं तो वह हमेशा सफल रहते हैं जैसे कि पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी। उन्होंने कहा, 'एमएस धोनी की तरह, मैं खुद को नतीजे के बारे में सोचने से दूर रखने की कोशिश करता हूं और छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देता हूं। इससे अपनी इच्छानुसार नतीजा हासिल करने में मदद मिलती है।'

भुवी ने आगे कहा, 'आईपीएल के दौरान जब मेरे कुछ सत्र अच्छे रहे तो मैं इसी दौर में था। मैं अपनी प्रक्रिया के बारे में इतना ध्यान लगाता था कि नतीजा हमेशा 'दूसरा स्थान' ले लेता था। और परिणाम सकारात्मक ही आता था।'

मुश्किल था घर पर खुद को प्रेरित करना 
कोरोना संक्रमण के कारण खेल से दूर रहकर खुद को किस तरह भुवी प्रेरित कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि यह आसान नहीं है। उन्होंने कहा, 'मैं लॉकडाउन के पहले 15 दिन काफी प्रेरित था। कोई भी नहीं जानता था कि यह कितने दिन रहेगा और मेरे पास घर में भी एक्सरसाइज के लिये उपकरण नहीं थे। हमने सोचा कि चीजें दो महीनों में बेहतर हो जायेंगी। लेकिन 15 दिन बाद मुझे खुद को प्रेरित करने में मुश्किल आने लगी। फिर मैंने घर पर ही उपकरण मंगवा लिये और तब से चीजें थोड़ी सुधर गयी हैं। मैं इस लॉकडाउन के से खुद को और बेहतर करके वापस आना चाहता हूं। मैदानी प्रदर्शन अलग बात है, लेकिन मैं अपनी फिटनेस पर काम कर सकता हूं।'

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