जीवन भर मेहनत करना, किस्मत और मेहनत के मिश्रण से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के स्तर तक पहुंचना और फिर अपने हुनर से दुनिया को प्रभावित करना..ये सब तो काफी खिलाड़ियों ने किया है, लेकिन कम ही खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो उस स्तर तक पहुंचने के बाद जलवा कायम रख पाते हैं। बांग्लादेश के पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अशरफुल भी अपनी मेहनत के दम पर कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी बने। उस दौर में उन्होंने अपनी बल्लेबाज का लोहा मनवाया जब बांग्लादेश को हर मैच में फैंस सिर्फ हार का हकदार मानते थे। लेकिन इस खिलाड़ी ने अपना करियर ध्वस्त करने में खुद कोई कसर नहीं छोड़ी। आठ साल पहले आज ही के दिन (4 जून) उन्होंने अपना जुर्म कबूला था।
कौन हैं मोहम्मद अशरफुल?
मोहम्मद अशरफुल का जन्म 7 जुलाई 1984 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुआ था। एक सामान्य परिवार से आते हुए इस खिलाड़ी ने जबरदस्त मेहनत की और आलम ये रहा कि 17 साल की उम्र में उन्होंने बांग्लादेश की टीम में जगह हासिल की और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का गौरव हासिल किया। उन्होंने अप्रैल 2001 में जिंबाब्वे के खिलाफ अपने वनडे करियर का आगाज किया जबकि उसके पांच महीने बाद श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट डेब्यू भी कर लिया।
जब दुनिया ने इस छोटे से देश के युवा बल्लेबाज को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बड़े-बड़े खिलाड़ियों के सामने खेलते देखा तो सभी प्रभावित हुए। छोटा कद और उनके शॉट्स खेलने का अंदाज ऐसा था कि बहुत से लोग उनकी तुलना महान सचिन तेंदुलकर से करने लगे थे, हालांकि अशरफुल सचिन को हमेशा अपना आदर्श मानते थे और कोई मौका नहीं छोड़ते थे जब इस भारतीय दिग्गज से उनको बात करने का मौका मिल सके। जब सचिन एक बार बांग्लादेश दौरे पर गए तो अशरफुल ने टीम इंडिया को घर में भोजन का न्योता भेजा और जमकर सचिन की मेहमान नवाजी की।
साल 2007 में वनडे विश्व कप के बाद हबीबुल बशर ने भारत के बांग्लादेश दौरे के समय कप्तानी छोड़ दी थी। उनकी जगह अशरफुल को बांग्लादेशी टीम का नया कप्तान बना दिया गया। जून 2007 को उनको हर प्रारूप का कप्तान बना दिया गया। उन्होंने अपने करियर में 13 टेस्ट मैचों में कप्तानी की जिसमें बांग्लादेश ने एक भी मैच नहीं जीता, सिर्फ एक ड्रॉ कराया। वनडे क्रिकेट के 38 मैचों में कप्तानी की और यहां 8 मैच जीते और 30 हारे। जबकि टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के 11 मैचों में कप्तानी की जिनमें 2 में जीत मिली और 9 मैच गंवा दिए।
मोहम्मद अशरफुल मैदान पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन हर खिलाड़ी के करियर में उतार-चढ़ाव आते हैं और उनके करियर में भी एक समय ऐसा आया था जब रन नहीं बन रहे थे। जाहिर तौर पर फैंस और पूर्व दिग्गज आलोचना भी करेंगे। लेकिन अशरफुल को ये बर्दाश्त नहीं था। वो इस बात से इतना नाराज चल रहे थे कि मार्च 2008 में ढाका के इंडोर स्टेडियम में अभ्यास करते हुए उन्होंने एक फैन को थप्पड़ जड़ दिया था। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने उस महीने अशरफुल की 25 फीसदी सैलरी काटी थी और बाद में इस बल्लेबाज ने सार्वजनिक रूप से अपनी हरकत के लिए माफी भी मांगी थी।
अगर साल 2013 की बात करें तो वो साल क्रिकेट से ज्यादा फिक्सिंग के लिए चर्चा में रहा था। आईपीएल में तीन भारतीय खिलाडियों को स्पॉट फिक्सिंग का दोषी पाया गया था। आईपीएल विवाद को अभी एक महीना पूरा भी नहीं हुआ था कि बांग्लादेश में फिक्सिंग बम फट गया। मामला 2013 की बांग्लादेश प्रीमियर लीग का था। ढाका ग्लेडिएटर्स और चटगांव वाइकिंग्स के बीच हुए मैच पर फिक्सिंग के आरोप लगे थे। बाद में खुलासा हुआ कि उस समय 28 वर्षीय अशरफुल ने मैच हारने के लिए 12000 डॉलर (उस दौरान तकरीबन 8 लाख रुपये) का चेक लिया था। अनोखी खबर तब आई जब पता चला कि उनका फिक्सिंग वाला चेक बाउंस कर गया था।
चेक बाउंस हुआ तो इरादों पर पानी फिरा लेकिन अशरफुल तब भी नहीं सुधरे और 10 दिन बाद एक और मैच में उन्होंने स्पॉट फिक्सिंग की, जिस मैच में उनकी टीम बरिसाल बर्नर्स के खिलाफ 7 विकेट से हार गई। इसके एक साल बाद बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने अशरफुल को फिक्सिंग मामले में जांच के बाद दोषी पाया, इस बल्लेबाज ने खुद भी अपना गुनाह कबूला और उन पर 8 साल का प्रतिबंध लगा दिया गया। बाद में उस प्रतिबंध को 5 वर्ष का कर दिया गया था। अगस्त 2016 में उनके प्रतिबंध के नियमों में थोड़ी ढिलाई देते हुए उनको घरेलू क्रिकेट खेलने की छूट दे दी गई, जबकि 2018 में उनको अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी खेलने की छूट मिल गई। हालांकि तब तक वो 33 वर्ष के हो चुके थे और बांग्लादेशी टीम में फिर इस कलंकित खिलाड़ी की वापसी नहीं हो सकी।
मोहम्मद अशरफुल ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 61 टेस्ट खेले जिसमें उन्होंने 6 शतक जड़ते हुए 2737 रन बनाए। वनडे क्रिकेट में 177 मैच खेले और तीन शतक जड़ते हुए 3468 रन बनाए, जबकि टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 23 मैच खेले और दो अर्धशतक जड़ते हुए 450 रन बनाए। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्होंने 47 विकेट भी लिए। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने 165 मैच खेले और 8443 रन बनाए जिसमें 21 शतक शामिल रहे हैं। जबकि प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 198 विकेट भी झटके।
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