7 जुलाई 1981 को जन्में एमएस धोनी आज अपना 39 वां जन्मदिन मना रहे हैं। धोनी की किक्रेटिंग ब्रेन की कसमें बड़े-बड़े दिग्गज खाते हैं। विपक्षी टीम को कैसे पटखनी देनी है ये धोनी से बेहतर कोई नहीं जानता। अपने 15 साल लंबे करियर के दौरान रांची के इस लड़के ने भारत की झोली में हर वो खिताब डाला है जो कभी नामुमकिन सा लगता था। तो आइए धरतीपुत्र धोनी के जन्मदिवस के मौके पर उनकी टॉप 7 वनडे पारियों पर एक नजर डालते हैं और नॉस्टेल्जिया में खो जाते हैं...
2011 के आईसीसी विश्व कप फाइनल में खेली गई यह पारी हर भारतीय को निःसंदेह याद होगी। साथ ही धोनी का वो आइकॉनिक छक्का आज भी हमारे दिलों में खास जगह रखता है। आपको बता दें कि फाइनल से पहले धोनी ने विश्व कप में कुछ खास नहीं किया था, लेकिन कहते हैं ना कि बड़े खिलाड़ी, बड़े मौकों की तलाश में रहते है। धोनी ने ठीक वैसा ही किया, बैटिंग आर्डर में खुद को प्रमोट करने के बाद धोनी ने लंकाई गेंदबाजी आक्रमण को शानदार तरीके से खेला और गंभीर के साथ बेहतरीन साझेदारी की और 28 साल बाद भारत को विश्व कप विजेता बनवाया।
यह मैच धोनी के हर फैन के लिए खास है। धोनी अपने करियर का छठा वनडे मैच खेल रहे थे और कप्तान गांगुली ने उन्हें पहला विकेट गिरते ही मैदान में उनसे पहले उतार दिया। धोनी ने विशाखापत्तनम के इस मैच में न केवल अपना पहला शतक जड़ा बल्कि 123 गेंदों पर 148 रन बनाकर आउट होने के बाद यह भी साबित किया कि वो लंबी रेस के घोड़े हैं।
जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में खेले गए इस मैच में 299 रनों का पीछा करने उतरी टीम इंडिया को पहला झटका सचिन तेंदुलकर के रुप में पहले ओवर में ही लग गया, जिसके बाद पहले नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे धाकड़ धोनी। धोनी ने लंकाई गेंदबाजी को तहस-नहस कर डाला और 183 रनों की पारी के दौरान 15 चौके और रिकॉर्ड 10 छक्के जड़े। भारत ने यह मैच 46 वें ओवर में ही अपने नाम कर लिया। धोनी की यह यादगार पारी आज भी वनडे किक्रेट इतिहास में एक विकेटकीपर बल्लेबाज द्वारा बनाया गया उच्चतम स्कोर है।
7 मैचों की इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला मैच गंवाने के बाद, टीम इंडिया नागपुर का यह मैच किसी भी हाल में नहीं हार सकती थी। ऐसे में कैप्टन कूल ने टीम को जीत दिलाने का जिम्मा खुद अपने हाथों में लिया और केवल 107 गेंदों पर 124 रनों की अहम पारी खेली, जिसकी बदौलत इंडियन टीम ने 50 ओवर में 354 रन ठोंक डाले। भारत ने यह मैच 99 रन के बड़े अंतर से जीता। धोनी को इस शानदार पारी के लिए मैन ऑफ द मैच के पुरस्कार से नवाजा गया।
कॉमनवेल्थ सीरीज के चौथे मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए एक बड़े मैदान में भारत के सामने 270 रनों की चुनौती रखी। गौतम गंभीर ने भारत को अच्छी शुरूआत दिलाई, लेकिन लगातार गिरते विकटों के बीच मोर्चा एक बार फिर धोनी ने संभाला। आखरी ओवर में जीत के लिए भारत को 12 रन बनाने थे, जिसे धोनी ने खास अंदाज में दो गगनचुम्बी छक्कों के साथ पुरा किया। धोनी ने 58 गेंदों पर 44 रन बनाए।
पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए इस लो-स्कोरिंग फाइनल में भारत को जीत के लिए 202 रन बनाने थे, लेकिन भारतीय बल्लेबाजी शार्ट पिच गेंदबाजी के सामने एक बार फिर बेबस नजर आ रही थी। धोनी ने हर बार की तरह अपना विकेट संभाल कर रखा। 9 विकेट खो चुके भारत को आखरी ओवर में जीत के लिए बनाने थे 15 रन, जिसे धोनी ने 2 छक्कों और एक चौके की मदद से पुरा किया। 52 गेंदों में 45 रन की इस मैच विनिंग पारी की वजह से भारत ने यह ट्राई-नेशन सीरीज जीती।
भारत-पाकिस्तान के बीच 3 मैचों की सीरीज का पहला मैच चेन्नई में खेला जा रहा था। टॉस हारने के बाद बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया के 5 बल्लेबाज मात्र 29 रन के स्कोर पर पवैलियन लौट चुके थे, लेकिन धोनी कहां हार मानने वाले थे। धोनी ने निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ पारी को संभाला और भारत को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। धोनी ने 125 गेंदों में 113 रन बनाए। हांलाकि भारत यह मैच हार गया, लेकिन इस जुझारू पारी के लिए धोनी को मैन ऑफ द मैच चुना गया।
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