नई दिल्लीः टीम इंडिया के दिग्गज ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन, ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर नाथन लियोन और पाकिस्तानी स्पिनर यासिर शाह बेशक आज भी टेस्ट क्रिकेट में धमाल मचा रहे हैं लेकिन सीमित ओवर क्रिकेट में वे अपनी सफलताओं को दोबारा दोहरा नहीं सके। क्रिकेट में बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के बीच अन्य युवा खिलाड़ियों ने उनकी जगह ले ली और आने वाले दिनों में टेस्ट क्रिकेट में भी उनको इस प्रतिद्वंद्विता का सामना करना पड़ सकता है। पाकिस्तान के पूर्व दिग्गज स्पिनर और मौजूदा कई देशों में स्पिन कोच की भूमिका निभा चुके मुश्ताक अहमद ने बताया है कि आखिर क्यों इन दिग्गजों का ऐसा हाल हुआ।
मुश्ताक अहमद का मानना है कि सपाट पिचों पर ‘विविधता के अभाव’ की वजह से अश्विन, लियोन और यासिर शाह जैसे धुरंधर स्पिनर दोबारा अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन सीमित ओवर क्रिकेट (वनडे और टी20) में दिखा नहीं सके। अश्विन ने 71 टेस्ट में 365, लियोन ने 96 टेस्ट में 390 और पाकिस्तान के यासिर शाह ने 39 टेस्ट में 213 विकेट लिये हैं। वनडे और टी20 में हालांकि वे इस सफलता को दर्ज नहीं करा सके।
युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव को देखो
मुश्ताक अहमद ने पीटीआई को दिये इंटरव्यू में कहा, ‘युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव को देखो। दोनों ने सफेद गेंद से भारत को कई मैच जिताये हैं। लियोन, अश्विन और यासिर की गेंदों में शायद वनडे क्रिकेट के लायक विविधता ही नहीं थी।’
टेस्ट और सीमित ओवर के स्पिनर अलग-अलग हो
दुनिया भर में कोचिंग कर चुके मुश्ताक अहमद के मुताबिक टेस्ट और सीमित ओवरों के स्पिनरों को अलग-अलग करना होगा। उन्होंने कहा, ‘स्पिनरों के लिये सबसे बड़ी चुनौती टेस्ट क्रिकेट है जहां उनकी प्रतिभा की असली परख होती है। यासिर शाह, नाथन लियोन, मोईन अली, अश्विन जैसे गेंदबाजों का टेस्ट क्रिकेट में योगदान अपार है। इनमें से कुछ वनडे क्रिकेट में भी सफल रहे हैं लेकिन बदले हुए नियमों के साथ क्रिकेट अब काफी बदल गया है। ऐसे में रहस्यमयी स्पिनर और कलाई के स्पिनर अधिक प्रभावी हो गए हैं। इनमें आदिल रशीद, एडम जाम्पा, चहल, यादव और शादाब खान शामिल है।’
करियर हो जाएगा लंबा
मुश्ताक ने कहा, ‘आजकल इतना क्रिकेट खेला जा रहा है कि अलग अलग प्रारूप के लिये अलग अलग स्पिनर होने चाहिये । आप पांच छह स्पिनरों को चुनकर उन्हें अलग-अलग प्रारूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे उनका करियर भी लंबा होगा।’ उन्होंने कहा कि लियोन और अश्विन दोनों सकलैन मुश्ताक और मुथैया मुरलीधरन के दर्जे के गेंदबाज हैं लेकिन वनडे क्रिकेट के अनुकूल नहीं हैं।
बदलाव ही हकीकत है
गौरतलब है कि भारत की वनडे और टी20 टीमों में युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की एंट्री के बाद रविचंद्रन अश्विन की जगह खत्म हो गई। ऐसा ही कुछ उससे पहले हरभजन सिंह के साथ हुआ था जब रविचंद्रन अश्विन की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एंट्री हुई थी और भज्जी को टीम से बाहर करना पड़ा था। आज टीम में चहल और कुलदीप की जगह भी पूरी तरह सुनिश्चित नहीं है क्योंकि रविन्द्र जडेजा और केदार जाधव जैसे कुछ स्पिनर ऐसे भी मौजूद हैं जो उनकी भरपाई करने का दम रखते हैं। ऐसे में चाहे टीम इंडिया हो या फिर कोई अन्य टीम, सभी समय के साथ खुद को बदलने से हिचकते नहीं और शायद टीमों के लिए ये काम भी कर रहा है।
(with PTI inputs)
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