सुनील गावस्कर ने कहा, टी20 क्रिकेट में बदलाव की नहीं है जरूरत, गेंदबाजों को मिले ये छूट 

क्रिकेट
भाषा
Updated Oct 08, 2020 | 17:44 IST

टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज टी20 क्रिकेट में बदलाव का विरोध किया है लेकिन उन्होंने गेंदबाजों को छूट दिए जाने की पैरवी भी की है। जानिए उन्होंने दिए हैं कौन से सुझाव?

Sunil Gavaskar
सुनील गावस्कर  
मुख्य बातें
  • सुनील गावस्कर ने किया टी20 क्रिकेट के मौजूदा स्वरूप में बदलाव का विरोध
  • गेंदबाजों को इस तरह की छूट दिए जाने के समर्थन में हैं गावस्कर
  • मांकेडिंग शब्द को गावस्कर ने बताया है अपमानजनक

नई दिल्ली: महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर का मानना है कि टी20 क्रिकेट अच्छी स्थिति में है और इसमें बदलाव की जरूरत नहीं है लेकिन एक ओवर में दो बाउंसर की अनुमति दी जा सकती है।

क्रिकेट के इस सबसे छोटे प्रारूप में बल्लेबाजों का दबदबा रहा है और सपाट पिचों पर गेंदबाजों के पास करने के लिये ज्यादा कुछ नहीं होता। यह पूछने पर कि क्या गेंदबाजों पर से दबाव कम करने के लिये नियमों में बदलाव लाजमी है, गावस्कर ने यूएई से पीटीआई को दिये इंटरव्यू में कहा, 'टी20 क्रिकेट बहुत अच्छी स्थिति में है और बदलाव की जरूरत नहीं है।'

गेंदबाजों को मिले दो बाउंसर डालने की छूट
उन्होंने कहा, 'यह बल्लेबाजों के अनुरूप है लिहाजा तेज गेंदबाजों को हर ओवर में दो बाउंसर डालने की अनुमति दी जा सकती है और बाउंड्री थोड़ी बड़ी होनी चाहिये।' उन्होंने कहा, 'पहले तीन ओवर में विकेट लेने वाले गेंदबाज को एक अतिरिक्त ओवर दिया जा सकता है लेकिन इस प्रारूप में कोई बदलाव की जरूरत मुझे नहीं लगती।'

तीसरे अंपायर को मिले ये अधिकार
नियमों के बारे में उन्होंने कहा कि टीवी अंपायर को यह जांचने का अधिकार होना चाहिये कि गेंदबाज के गेंद डालने से पहले सामने के छोर पर खड़ा बल्लेबाज क्रीज से बहुत बाहर तो नहीं आ गया है। गावस्कर ने कहा, 'ऐसा होने पर गेंदबाज उस बल्लेबाज को गेंद डालने से पहले रन आउट कर सकता है।'

उन्होंने कहा कि टीवी अंपायर को लगता है कि 'नॉन स्ट्राइकर' छोर पर बल्लेबाज ज्यादा आगे आ गया है तो चौका होने पर भी एक रन काटने का दंड हो सकता है। उन्होंने कहा, 'टीवी अंपायर अब देख ही रहे हैं कि गेंदबाज ने क्रीज से बाहर आकर तो गेंद नहीं डाली यानी नोबॉल तो नहीं है। इसी तरह से नॉन स्ट्राइकर बल्लेबाज भी क्रीज से बाहर तो नहीं आया है, यह भी देखा जा सकता है।'

मांकेडिंग शब्द का बंद हो इस्तेमाल
वह लगातार 'मांकेडिंग' शब्द के प्रयोग का विरोध करते आये हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह भारत के महान क्रिकेटर वीनू मांकड़ का अपमान है। मांकड़ ने 1948 में आस्ट्रेलिया और भारत के बीच एक टेस्ट के दौरान बिली ब्राउन को इसी तरह आउट किया था। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान सर डॉन ब्रैडमेन ने कहा था कि मांकड़ अपनी जगह सही थे और नियमों के दायरे में ही उन्होंने ऐसा किया लेकिन ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने उस विकेट को 
'मांकेडिंग' कहा।

खेल भावना के विपरीत शब्दों का बंद हो इस्तेमाल
गावस्कर ने कहा, 'पता नहीं खेल के मैदान पर इतने तथाकथित खेल भावना के विपरीत काम होते हुए भी इसी तरह के विकेट को नाम क्यों दिया गया। हम 'चाइनामैन' और 'फ्रेंच कट' के इस्तेमाल पर रोक लगाने की बात करते हैं तो इस शब्द का भी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये।'

उन्होंने ऑफ स्पिनर आर अश्विन की तारीफ की जिन्होंने आरसीबी और दिल्ली कैपिटल्स के बीच मैच के दौरान आरोन फिंच को क्रीज से बाहर निकलने पर चेतावनी दी लेकिन यह भी कहा कि अगली बार वह रन आउट कर देंगे। उन्होंने कहा, 'अश्विन ने ऐसा करके कोच रिकी पोंटिंग के प्रति सम्मान जताया जो इस तरह के विकेट को लेकर नाराजगी जता चुके थे। इसके साथ ही उसने चेतावनी भी दे दी कि अब से कोई भी विकेट से बाहर निकलेगा तो वह रन आउट कर देंगे।'

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