पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर को दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज के रूप में जाता था। उन्होंने जब इंग्लैंड के खिलाफ 2003 में 161.3 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद फेंकी थी, तब पूरी दुनिया में उसकी चर्चा हुई थी। आधिकारिक तौर पर आज भी उस गेंद को क्रिकेट इतिहास की सबसे तेज गेंद के रूप में जाना जाता है..लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब 'स्पीड-गन' नहीं होती थी और गेंद की रफ्तार दर्ज नहीं हो पाती थी। उस दौर में एक गेंदबाज ऐसा था जिसकी गेंदबाजी को लेकर आज भी किस्से सुनाए जाते हैं। आज उस खिलाड़ी का जन्मदिन है।
हम यहां बात कर रहे हैं इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी चार्ल्स कोर्टराइट की। इस तेज गेंदबाज का जन्म 1871 में आज ही के दिन (9 जनवरी) इंग्लैंड के एसेक्स में हुआ था। उनके करियर के दिनों में जिस खिलाड़ी ने भी कोर्टराइट को गेंदबाजी करते देखा या उनकी गेंदें खेलीं, सभी उनको सबसे तेज गेंदबाज मानते थे। इसके साथ ही उन्होंने कुछ किस्से भी बताए जिसके प्रमाण किताबों में मिल जाते हैं।
चार्ल्स कोर्टराइट की गेंदें इतना तेज हुआ करती थीं कि उनके अधिकतर शिकार बोल्ड हुआ करते थे। कोर्टराइट ने 1895 से 1898 के बीच प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 297 विकेट लिए थे जिसमें 201 विकेट बोल्ड थे। उन्होंने अपने पूरे प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच में 1907 तक 170 मैच खेले थे जिस दौरान उन्होंंने 489 विकेट लिए थे। एक पारी में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था 57 रन देकर 8 विकेट।
एक बार जब वो आर्मी की टीम के लिए खेल रहे थे तब सामने वाले बल्लेबाज बार-बार अपने बाएं पैर का अंगूठा आगे बढ़ाकर खेल रहे थे जो कोर्टराइट को परेशान कर रहा था। इसके बाद कोर्टराइट ने अपनी पूरी रफ्तार से यॉर्कर फेंकनी शुरू कर दीं, नतीजतन बल्लेबाज बोल्ड तो हुआ, साथ ही सटीक यॉर्कर पर उसके पैर का अंगूठा भी टूट गया।
चार्ल्स कोर्टराइट की एक गेंद आज भी याद की जाती है और अपनी मौत से पहले दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद भी कहा था कि वो उनके करियर की सबसे शानदार गेंद थी। दरअसल, उस गेंद की रफ्तार इतनी तेज थी कि पिच पर बाउंस होने के बाद गेंद विकेटकीपर के ऊपर से होती हुई सीधे बाउंड्री पार चली गई। ये क्रिकेट इतिहास में पहला और एकमात्र मौका था जब बाय (Bye) के 6 रन मिले थे।
चार्ल्स कोर्टराइट के करियर में कुछ बातें दुर्भाग्यपूर्ण भी रहीं। एक तो उनकी गेंदों की रफ्तार कभी दर्ज नहीं हो पाई और उससे भी खराब और चौंकाने वाली बात ये रही कि इतना शानदार गेंदबाज होने के बावजूद उन्हें कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका नहीं दिया गया। आज भी खेल के इतिहासकार इसे क्रिकेट जगत के सबसे बड़े सवालों में से एक मानते हैं।
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