नई दिल्ली: रिकी पोंटिंग ने बतौर कप्तान ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को बुलंदियों पर पहुंचाया। पोंटिंग के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया ने काफी सफलताएं हासिल की, जिसमें 2003 और 2007 विश्व कप शामिल हैं। पोंटिंग ने 9 साल तक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम की कप्तानी की और दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक रहे। हालांकि, आज के दिन यानी 29 मार्च को रिकी पोंटिंग के करियर के सबसे काले दिनों में से एक माना जा सकता है। आज ही के दिन पोंटिंग ने ऑस्ट्रेलियाई कप्तानी से इस्तीफा दिया था और माइकल क्लार्क को यह जिम्मेदारी मिली थी।
दरअसल, 2011 विश्व कप में टीम इंडिया ने रिकी पोंटिंग को उनकी जिदंगी का सबसे बड़ा झटका दिया था। 2011 विश्व कप क्वार्टर फाइनल में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को मात देकर सेमीफाइनल में स्थान पक्का किया था। ऑस्ट्रेलिया ने अहमदाबाद में खेले गए मुकाबले में कप्तान रिकी पोंटिंग (104) के शतक की बदौलत 50 ओवर में 6 विकेट खोकर 260 रन बनाए थे। जवाब में टीम इंडिया ने सचिन तेंदुलकर (53), गौतम गंभीर (50) और युवराज सिंह (57*) के अर्धशतकों की मदद से 14 गेंदें शेष रहते पांच विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया था।
इसके बाद रिकी पोंटिंग ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कप्तानी से इस्तीफा दे दिया था। यह पोंटिंग के लिए सबसे खराब साल था। इसी साल रिकी पोंटिंग को घरेलू जमीन पर इंग्लैंड के हाथों एशेज सीरीज में शिकस्त मिली थी।
इसके बाद 1999 से 2007 तक ऑस्ट्रेलिया की विश्व कप पर जो बादशाहत थी, वो 2011 विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में टीम इंडिया ने खत्म कर दिया था। टीम इंडिया ने पोंटिंग के 9 साल कप्तानी के राज का भी साथ में ही खात्मा किया था। पोंटिंग ने स्टीव वॉ के बाद ऑस्ट्रेलिया की वनडे और टेस्ट टीम की कमान संभाली थी। पोंटिंग ने 77 टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया का नेतृत्व किया, जिसमें से 48 में जीत हासिल की। यह दुनिया में सबसे ज्यादा टेस्ट जीतने का कप्तानी रिकॉर्ड है। इसके अलावा पोंटिंग ने 228 वनडे में कंगारुओं का नेतृत्व किया और 164 मैचों में जीत दिलाई, जिसमें 2003 और 2007 विश्व कप शामिल है।
रिकी पोंटिंग ने कप्तानी छोड़ते हुए कहा था, 'मैं ऑस्ट्रेलियाई टीम की दोनों टेस्ट और वनडे टीम से इस्तीफा देता हूं। मैं खेलना जारी रखूंगा और वनडे व टेस्ट टीमों में चयन के लिए उपलब्ध रहूंगा। मैं काफी ज्यादा सोचा कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की जरूरत क्या है। इसलिए यह सही समय है कि अगला कप्तान टेस्ट और वनडे टीम की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ले। हमें 2013-14 में एशेज सीरीज जीतना है और फिर आगे 2015 विश्व कप है। मेरा तब तक खेलना मुश्किल है तो इसलिए इस समय नए कप्तान की नियुक्ति का सही समय है। इससे उसे अपनी दिशा और विरासत बनाने का मौका मिलेगा।'
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