नई दिल्ली: पाकिस्तान क्रिकेट अनिश्चितताओं से भरा हुआ है। यहां कुछ भी हो सकता है। जब भी पाकिस्तान क्रिकेट अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश करता है, तो कोई ऐसी घटना जरूर घटती है कि उसे मजबूर होकर बैकफुट पर जाना पड़ता है। इसकी शुरूआत 2009 में श्रीलंकाई टीम की बस पर आतंकी हमले से हुई थी, जहां कई खिलाड़ी चोटिल हुए थे। इसके बाद बड़े देशों ने तो पाकिस्तान में क्रिकेट खेलने से तौबा कर ली थी। पाक क्रिकेट पर आतंकवादी हमले का बुरा साया ऐसा पड़ा था कि 2011 में उसके पास से मेजबानी के अधिकार छिन गए थे। पाक क्रिकेट इस बदहाली पर पहुंच चुका था कि पिछले एक दशक में उसे अपने घरेलू मैच यूएई में खेलना पड़ रहे थे।
हालांकि, पिछले कुछ सालों से पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) देश में क्रिकेट की वापसी कराने के लिए अपना पूरा जोर लगा रहा है। बोर्ड कुछ हद तक सफल भी हुआ जब श्रीलंका, वेस्टइंडीज और बांग्लादेश ने यहां का दौरा सख्त सुरक्षा इंतजामों के बीच किया और फिर कौन भूल सकता है कि 2017 में विश्व एकादश की टीम तीन मैचों की टी20 सीरीज खेलने आई थी। पीसीबी का विश्वास धीरे-धीरे लौट रहा था क्योंकि उसने पीएसएल के मुकाबले अपने ही देश में आयोजित कराए थे। इस सीजन में कोरोना वायरस महामारी के कारण पीएसएल के सेमीफाइनल और फाइनल मैच रद्द किए गए।
बहरहाल, अपने देश में क्रिकेट आयोजन से पीसीबी का विश्वास जागा और उसने हाल ही में पीसीबी ने इंग्लैंड को पाकिस्तान दौरे पर तीन मैचों की टेस्ट सीरीज व इतने ही मैचों की टी20 इंटरनेशनल सीरीज के लिए न्योता भेजा था। पीसीबी चेयरमैन एहसान मनी ने अपने देश को कोरोना वायरस महामारी के बावजूद सुरक्षित करार देते हुए थ्री लायंस के सामने सीरीज का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा था, 'इंग्लैंड को पाकिस्तान की यात्रा करके सीरीज खेलनी चाहिए। कोई देश जोखिम से मुक्त नहीं है, लेकिन पाकिस्तान में स्थिति सुधर रही है।'
पाकिस्तान अपने देश में क्रिकेट की बहाली के दावे करने में मशगूल था कि उसके अचानक दो दिन पहले उसके अरमानों पर पानी फिर गया। पाकिस्तान क्रिकेट के एक स्थानीय टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में आतंकवादियों ने खुलेआम गोलियां चलाकर हड़कंप मचा दिया। यह दिल दहला देने वाली घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत, पाकिस्तान के कोहाट डिवीजन में ओरकजई जिले के द्रादर ममाजई क्षेत्र में अमन क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल के दौरान हुई। चश्मदीद गवाहों से पता चला कि कोविड-19 महामारी के बावजूद भारी संख्या में दर्शक, राजनेता और मीडिया के लोग इस मैच को देखने के लिए एकत्रित हुए थे। मैच शुरू होने के कुछ देर बाद ही करीब की पहाड़ी से आतंकवादियों ने खुलेआम फायरिंग शुरू कर दी। सभी लोग भाग निकलने में सफल हुए। किसी प्रकार की हताहत की रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
एक रिपोर्ट में बताया गया कि आतंकवादियों ने इस कदर गोलीबारी की थी कि आयोजकों के पास मैच रद्द करने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा। इससे एक बार फिर पाकिस्तान की कलई खुल गई है कि यहां क्रिकेट खेलना वाकई सुरक्षित है या नहीं। पीसीबी चेयरमैन भले ही कोविड-19 का हवाला देते हुए पाकिस्तान को सुरक्षित करार दें, लेकिन देश के सुरक्षा इंतजाम के खस्ता हाल इस मैच से पता चल जाते हैं। इस तरह पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियां चलती रहेंगी तो कोई देश आखिर क्यों अपने खिलाड़ियों की जान जोखिम में डालना पसंद करेगा? पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को अपने देश में क्रिकेट की वापसी से पहले सुरक्षा हालातों पर नजर डालने की जरूरत है, ताकि वह सिर्फ हवाई बातें करके किसी की जान जोखिम में न डालें।
भारत के समान ही पाकिस्तान में भी क्रिकेट काफी लोकप्रिय है। क्रिकेट मनोरंजन का साधन होने के साथ-साथ पाकिस्तान के लोगों की भावनाओं से भी जुड़ा हुआ नजर आता है। पीसीबी को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि अपने देशवासियों की भावनाओं के सम्मान को ठेस न पहुंचे और बिना सुरक्षा का ध्यान दिए किसी देश को सीरीज खेलने का न्योता न दे। अब तक तो यही प्रतीत होता आया है कि बोर्ड ने 2009 में श्रीलंकाई टीम बस पर आतंकी हमले से कोई सबक नहीं लिया और सिर्फ पैसे बनाने की फिराक में जुटी रही, जिस वजह से उसके अधिकारी दावे करते रहे, लेकिन हमेशा किरकिरी हुई। देश में क्रिकेट की बहाली तभी हो पाएगी जब खिलाड़ी अपने आप को सुरक्षित महसूस करेगा। अमन कप क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में आतंकी हमले की खबर से एक बार फिर पाक क्रिकेट की किरकिरी हुई है और उसके पिछली गलतियों से सबक नहीं लेने की पोल खुल गई है।
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