अहमदाबाद: महज 17 साल की उम्र में भारत के लिए टेस्ट डेब्यू करने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल ने बुधवार को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास का ऐलान कर दिया। सौरव गांगुली की कप्तानी में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज करने वाले पार्थिव ने 18 साल लंबे करियर में 25 टेस्ट, 38 वनडे और 2 टी20 मैच खेले।
17 साल की उम्र में किया था करियर का आगाज
पार्थिव पटेल ने अपने करियर का आगाज इंग्लैंड के खिलाफ नॉटिंगघम में 8 अगस्त 2002 को महज 17 साल की उम्र में किया था। 2002-2004 तक वो भारतीय टेस्ट टीम का नियमित सदस्य रहे। उस दौर में वनडे टीम में विकेटकीपर की जिम्मेदारी राहुल द्रविड़ निभा रहे थे। ऐसे में उन्हें कभी-कभी वनडे जर्सी पहनने का मौका मिल जाता था। पार्थिव ने वनडे करियर का आगाज साल 2003 में विश्व कप से ठीक पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ क्वींस लैंड में किया था।
पार्थिव पटेल 2003 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित आईसीसी विश्व कप में शामिल होने वाले भारतीय दल के सदस्य रहे थे। विश्व कप में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची थी और पार्थिव को एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला था।
अंतरराष्ट्रीय करियर में नहीं जड़ सके शतक
पार्थिव पटेल ने अपने करियर में खेले 25 टेस्ट मैच में 31.13 की औसत से 934 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 6 अर्धशतक निकले और उनका सर्वाधिक स्कोर 71 रन रहा। वहीं वनडे में उन्हें भारतीय जर्सी में 38 मैच खेलने का मौका मिला। इस दौरान 34 पारी में उन्होंने 23.74 की औसत से 736 रन बनाए और उनका सर्वाधिक स्कोर 95 रन रहा। वहीं 2 टी20 मैच में वो कुल 36 रन बना सके।
साल 2018 में आखिरी बार आए थी टीम इंडिया की जर्सी में नजर
टीम इंडिया के लिए वो आखिरी बार साल 2018 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जोहान्सबर्ग में खेलते नजर आए थे। उन्होंने टीम इंडिया के लिए आखिरी वनडे साल 2012 में श्रीलंका के खिलाफ ब्रिस्बेन में और आखिरी टी20 इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में साल 2011 में खेला था। पार्थिव अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में कोई शतक नहीं जड़ सके।
धोनी के उदय का हुआ नुकसान
महेंद्र सिंह धोनी का उदय भारत की विकेटकीपरों की एक पीढ़ी के लिए भारी पड़ गया। टीम इंडिया में एंट्री करने के बाद धोनी ने दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का बाद ही पार्थिव पटेल की दोबारा टेस्ट टीम में वापसी हो सकी।
घरेलू क्रिकेट में मचाया धमाल, गुजरात को जिताया रणजी खिताब
टीम इंडिया से बाहर रहते हुए पार्थिव ने घरेलू क्रिकेट में अपने बल्ले से धमाल मचाया और गुजरात को रणजी चैंपियन बनाया। उनकी कप्तानी में गुजरात ने साल 2017 में पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया था। रणजी फाइनल में पार्थिव ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए मुंबई को मात देने में अहम भूमिका अदा की थी। इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया था।
पार्थिव ने 194 प्रथम श्रेणी मैच खेले जिसकी 286 पारियों में उन्होंने 43.39 के औसत से 11,240 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 27 शतक और 62 अर्धशतक जड़े। उनका सर्वाधिक स्कोर 206 रन रहा। पार्थिव ने 193 लिस्ट ए मैचों में 29.72 की औसत से 5172 रन बनाए। इस दौरान 3 शतक और 35 अर्धशतक उनके बल्ले से निकले।
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