पूर्व दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने 1996 से लेकर 2011 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला। वह भरोसेमंद बल्लेबाज माने जाते थे। उन्होंने कई मौकों पर टीम इंडिया को मुश्किल में घिरने से बचाया। फिलहाल भारत के हेड कोच द्रविड़ ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 48 शतक ठोके, जिनकी छाप लंबे समय तक रहेगी। हालांकि, द्रविड़ ने वो वक्त भी देखा है, जब लोगों को उनका नाम सही से मालूम नहीं था। यह वाकया पूर्व क्रिकेटर के स्कूल के दिनों का है। द्रविड़ ने इसका खुलासा ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा के पॉडकास्ट 'इन द जोन' पर किया।
शतक के बाद द्रविड़ बने डेविड
द्रविड़ ने अपने बचपन का किस्सा शेयर करते हुए कहा कि स्कूल क्रिकेट में जब उन्होंने पहली बार शतक जड़ा था तो अखबार में उनका नाम गलती से 'डेविड' प्रिंट हो गया था। द्रविड़ को अखबार की इस गलती से एक बड़ा सबक मिला था। उन्होंने महसूस किया कि भले ही सेंचुरी बनाई हो लेकिन वह अभी मशहूर नहीं हुए। द्रविड़ ने उस वाकया के बारे में कहा, 'एडिटर ने सोचा था कि नाम में स्पेलिंग मिस्टेक है, क्योंकि द्रविड़ कोई नहीं। ऐसे में द्रविड़ का डेविड तो होना ही था।'
'लोग मेरा नाम तक नहीं जानते'
उन्होंने आगे कहा, 'क्योंकि यह बहुत ज्यादा सामान्य नाम है। इसलिए, मुझे लगता है कि यह मेरे लिए भी एक अच्छा सबक था कि मैं स्कूल क्रिकेट में 100 रन बनाने के बारे में सोचकर खुश और उत्साहित हो सकता हूं मगर लोग मुझे अच्छी तरह से नहीं जानते। लोग मेरा नाम तक नहीं जानते। वे भरोसा भी नहीं कर सकते कि मेरे नाम सही है।' वैसे, द्रविड़ स्कूल क्रिकेट में मिला सबक कभी नहीं भूले। उसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत की और सुनिश्चित किया कि भारत में हर शख्स और हर न्यूजपेपर हमेशा उनका नाम याद रखे। बता दें कि द्रविड़ ने 164 टेस्ट मे ं13288 और 344 वनडे मैचों में 10889 रन बनाए।
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