व्यक्तिगत तौर पर भारतीय क्रिकेट जगत में तमाम प्रकार के खिलाड़ी हुए हैं, कुछ बेहद शांत, कुछ बेहद आक्रामक, कुछ मस्तमौला भी। आज जिस क्रिकेटर का जन्मदिन है और जिसके बारे में हम बात करने जा रहे हैं उनको खेल के आंकड़ों से ज्यादा एक घटना के लिए याद किया जाता है। ये भारतीय क्रिकेटर थे राशिद पटेल। एक खिलाड़ी जिसने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर में काफी नाम कमाया लेकिन फिर मैदान पर गुस्सा कुछ इस कदर हावी हुआ कि प्रतिबंध ने सब कुछ धुंधला कर दिया।
राशिद पटेल का जन्म 1 जून 1964 को गुजरात के साबरकांठा में हुआ था। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में बड़ौदा की तरफ से 1986-87 और 1996-97 में घरेलू क्रिकेट खेला और अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहे जिसके दम पर नवंबर 1988 में उनको भारतीय टेस्ट टीम में और उसके अगले महीने वनडे टीम में जगह मिली। लेकिन दोनों ही प्रारूप में वो सिर्फ एक-एक मैच ही खेल पाए। यहां ना उनके नाम एक भी रन दर्ज हुआ और ना ही कोई विकेट। हालांकि घरेलू क्रिकेट के 42 प्रथम श्रेणी मैचों में 113 विकेट और 18 लिस्ट-ए मैचों में 16 विकेट लिए।
वो शर्मसार करने वाला मैच
गुजरात के राशिद पटेल को अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर से कोई पहचान नहीं मिली लेकिन एक वाकया ऐसा था जिसने उनको रातों-रात चर्चा में ला दिया था। हम बात कर रहे हैं 1991 के दुलीप ट्रॉफी फाइनल की। जनवरी में अंतिम हफ्ते में जमशेदपुर के मैदान पर खेले गए इस प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच में नॉर्थ जोन का मुकाबला वेस्ट जोन से था। इस खिताबी मैच में राशिद पटेल वेस्ट जोन टीम का हिस्सा थे।
क्या हुआ था उस दिन
नॉर्थ और वेस्ट जोन के बीच खेला गया वो फाइनल मुकाबला उन मैचों में से था जहां पर दबाव और रोमांच के बीच आक्रमकता भी सातवें आसमान पर थी। खिलाड़ियों के बीच छींटाकशी पहले दिन से ही शुरू हो गई थी। मामला मैच के आखिरी दिन (29 जनवरी) का है जब नॉर्थ जोन की टीम इस मैच में अपनी दूसरी पारी में बल्लेबाजी कर रही थी। नॉर्थ जोन की टीम पहले ही एक बड़ी बढ़त ले चुकी थी इसलिए उन पर ज्यादा दबाव नहीं था। उसी दौरान पहली पारी में शतक जड़ने वाले नॉर्थ जोन के ओपनर रमन लांबा और वेस्ट जोन के गेंदबाज राशिद पटेल के बीच कहासुनी हो गई थी। लांबा ने पिच के अंदर आने के लिए राशिद को चेतावनी दी थी।
स्टंप लेकर रमन लांबा के पीछे दौड़े
तभी मैच के अंतिम दिन राशिद पटेल अपना आपा खो बैठे और स्टंप निकालकर बल्लेबाज रमन लांबा की तरफ दौड़ पड़े। उन्होंने ये सिर्फ दूर से दिखाने भर के लिए नहीं किया बल्कि लांबा के करीब जाकर उन पर स्टंप से हमला भी कर दिया। रमन लांबा ने किसी तरह अपना बल्ले को ढाल की तरह आगे करते हुए खुद को बचा लिया वर्ना उनको गंभीर चोट लग सकती थी।
दर्शकों ने भी बवाल किया, 15 मिनट पहले मैच खत्म किया
उस घटना के बाद मैदान पर हंगामा खड़ा हो गया था। जो दर्शक मैदान पर मैच देख रहे थे उन्होंने भी बवाल करना शुरू कर दिया। आलम ये रहा कि अंपायरों को अंतिम दिन का खेल 15 मिनट पहले ही समाप्त करना पड़ा।
राशिद पर क्या एक्शन लिया गया?
इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई गई जिसमें माधवराव सिंधिया, नवाब पटौदी और राज सिंह डूंगरपुर जैसे बड़े नाम शामिल थे। इन तीनों ने राशिद पटेल को दोषी पाते हुए 13 महीन का प्रतिबंध लगा दिया जबकि रमन लांबा की भी पिच पर कुछ हरकतें सही नहीं मानी गईं और उन पर 10 महीने का बैन लगाया गया।
एक से एक दिग्गज थे मैदान पर, खूब रन बने थे
उस फाइनल मुकाबले में मैदान पर भारतीय क्रिकेट के एक से एक दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे। सचिन तेंदुलकर, कपिल देव, दिलीप वेंगसरकर, मनोज प्रभाकर, कीर्ती आजाद, रवि शास्त्री, अजय जडेजा, चेतन शर्मा, मनिंदर सिंह, लालचंद राजपूत, विनोद कांबली, किरन मोरे और संजय मांजरेकर जैसे तमाम दिग्गज क्रिकेटर उस मैच में खेल रहे थे।
इस हाई-प्रोफाइल और हाई-वोल्टेज मुकाबले में खूब रन भी बने। नॉर्थ जोन ने पहली पारी में रमन लांबा (180 रन) और मनोज प्रभाकर (143 रन), कपिल देव (119 रन) के दम पर 9 विकेट खोकर 729 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया और पारी घोषित कर दी। जवाब में वेस्ट जोन की तरफ से भी खूब रन बने। उनकी तरफ से कप्तान रवि शास्त्री (152 रन), संजय मांजरेकर (105 रन) और दिलीप वेंगसरकर (114 रन) के दम पर वेस्ट जोन ने 561 रन बनाए। तीसरी पारी तक नॉर्थ जोन बड़ी बढ़त ले चुका था और जब दूसरी पारी में बिना कोई विकेट गंवाए वे 59 रन बना चुके थे, तभी 15 मिनट पहले मैच खत्म करके उनको विजेता घोषित कर दिया गया।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | क्रिकेट (Cricket News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल