धाकड़ ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने करियर के उस बुरे समय को याद किया है, जब वह भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर हो गए थे। उन्हें कोई अंदाज नहीं था कि टीम में वापसी कैसे की जाए। जडेजा लगभग डेढ़ साल तक टेस्ट और वनडे टीम में जगह नहीं बना सके थे। भारतीय क्रिकेटर ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि उन्हें तब नींद नहीं आती थी और वह जागे ही रहते थे। वह अब तक 51 टेस्ट, 168 वनडे और 50 टी20 अंतरराष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं।
जडेजा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो वो उन डेढ़ साल रातों की नींद हराम हो गई थे। मुझे याद है कि उस दौर में सुबह 4-5 बजे तक जागता था। मैं सोचता था कि क्या करूं? मैं वापस कैसे करूं? मैं सो नहीं पाता था। मैं लेट जाता, लेकिन जागा ही रहता था।'
32 वर्षीय जडेजा ने कहा, 'मैं टेस्ट स्क्वाड में था लेकिन नहीं खेल रहा था। मैं वनडे भी नहीं खेल रहा था। भारतीय टीम के साथ यात्रा करने की वजह से मैं घरेलू क्रिकेट भी नहीं खेल रहा था। मुझे खुद को साबित करने का कोई मौका नहीं मिल रहा था। मैं इस बारे में सोचता रहता कि मैं टीम में वापस कैसे आऊंगा।'
हालांकि, साल 2018 में चीजें उस वक्त बदलने शुरू हो गईं, जब जडेजा ने इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में पांचवां टेस्ट मैच खेला। उन्होंने ओवल टेस्ट में भारत के लिए मुश्किल वक्त में 156 गेंदों में 86 रन की पारी खेली। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
जडेजा ने कहा, 'ओवल टेस्ट ने मेरे लिए सब कुछ बदलकर रखा दिया। मेरा गेम, मेरा प्रदर्शन, मेरा आत्मविश्वास, सब कुछ। जब आप सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ इंग्लैंड जैसी परिस्थितियों में रन बनाते हैं, तो यह आपके आत्मविश्वास पर बहुत असर डालता है। इससे आपको लगता है कि आपकी तकनीक दुनिया में कहीं भी स्कोर करने के लिए काफी अच्छी है।'
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