नई दिल्ली: टीम इंडिया का कप्तान होना अपने आप में बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, जिसे आसानी से संभाल पाना किसी खिलाड़ी के लिए मुमकिन नहीं। भारतीय क्रिकेट टीम के कई कप्तान बने, लेकिन एमएस धोनी अपनी अलग छवि बनाने में कामयाब रहे। चयनकर्ताओं ने धोनी में 2007 में विश्वास जताया जब वर्ल्ड टी20 के लिए उन्हें कप्तान के रूप में नियुक्त किया। धोनी की कप्तानी में सबसे बड़ी चर्चा का मुद्दा 2008 में रहा- जहां उन्होंने सिलेक्शन मीटिंग में एक फैसला लिया था, जो लीक हो गया।
2008 की रिपोर्ट के मुताबिक धोनी चयनकर्ताओं के फैसले के इस पक्ष में नहीं थे आरपी सिंह की जगह इरफान पठान को शामिल किया जाए और इसके लिए माही ने कप्तानी छोड़ने की धमकी भी दे दी थी। धोनी ने अगले दो मैचों में आरपी सिंह को प्लेइंग इलेवन में मौका दिया। इस घटना को याद करते हुए आरपी सिंह ने कहा कि जब सही खिलाड़ियों के चयन की बात आई तो धोनी ने अपनी टीम के लिए निष्पक्ष होकर फैसला लिया था और जब बात लीक हुई तो इसका उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
आरपी सिंह ने स्पोर्ट्स तक से बातचीत करते कहा, 'मुझे नहीं लगता कि लीक से मुझ पर कोई प्रभाव पड़ा था। इंग्लैंड सीरीज की हम लोग बात कर रहे हैं। इंदौर में खेले गए मैच में मुझे विकेट नहीं मिला था। यह जरूरी है कि लोगों को दो या तीन मौके मिले। मगर ऐसा हमेशा जरूरी तो नहीं। कुछ लोगों को पांच मौके तो कुछ को 10 मौके मिल जाते हैं।'
धोनी के लिए सब अलग
अधिकांश भारतीय कप्तानों के जैसे, एमएस धोनी के भी कुछ खिलाड़ी थे, जिनका उन्होंने कप्तानी के दौरान भरपूर समर्थन किया। धोनी के अच्छे दोस्त होने के बावजूद आरपी सिंह का मानना है कि वह जल्द ही रांची के सुपरस्टार से इस बारे में बात करते थे कि किस क्षेत्र में सुधार करना है। धोनी बताते थे कि खिलाड़ी कहां अपना दम लगाकर चीजों को बेहतर तरीके से ठीक कर सकता है।
बाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने कहा, 'इसलिए एमएस धोनी आज धोनी हैं। क्रिकेट और फैसले लेने में वह निष्पक्ष रहे। मैं ज्यादा नहीं खेल सका, जितना खेल सकता था क्योंकि शायद मेरी गति और स्विंग में कमी आ गई थी। बाकी सभी चीजें दूसरी हैं। अगर मैं तब सुधार करता, तो ज्यादा खेल पाता। मगर मैंने जो भी हासिल किया, उससे खुश हूं।' 2007 वर्ल्ड टी20 टीम के सदस्य आरपी सिंह ने 14 टेस्ट, 58 वनडे और 10 टी20 इंटरनेशनल मैचों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने सितंबर 2011 में भारत के लिए आखिरी वनडे मैच खेला।
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