नई दिल्ली: शांताकुमारन श्रीसंत जब भारत के लिए खेलते थे तो उन्हें ऑस्ट्रेलिया बल्लेबाजों के खिलाफ गेंदबाजी करने में बड़ा मजा आता था। कई लोग 2007 वर्ल्ड टी20 के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका खतरनाक गेंदबाजी स्पेल नहीं भूले होंगे। श्रीसंत पूरी आक्रमकता के साथ गेंदबाजी कर रहे थे और जब टीम इंडिया को विकेट की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब उन्होंने विकेट निकालकर भी दिए। मैच में उनका गेंदबाजी प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ था। उन्होंने 12 रन देकर दो विकेट चटकाए थे, जिस मैच में 350 से ज्यादा रन बनाए थे और उनके प्रदर्शन की मदद से टीम इंडिया फाइनल में जगह पक्की करने में कामयाब हुई थी।
हाल ही में केरल के तेज गेंदबाज ने 2007 वर्ल्ड टी20 की खिताबी जीत के बारे में बात की और बताया कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में ज्यादा आक्रामक होकर गेंदबाजी क्यों की थी। श्रीसंत ने ध्यान दिलाया कि वह ऑस्ट्रेलियाई टीम पर इसलिए ज्यादा गुस्सा थे क्योंकि 2003 विश्व कप के फाइनल में उन्होंने भारत को बुरी तरह मात दी थी। तब ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल के अलावा लीग मैच में सौरव गांगुली के नेतृत्व वाली भारतीय टीम को केवल 125 रन पर ढेर करके 8 विकेट से आसानी से मैच जीता था।
फाइनल में रिकी पोंटिंग ने नाबाद शतक जमाकर ऑस्ट्रेलिया को 359 रन के विशाल स्कोर तक पहुंचाया, जहां भारत 125 रन से मुकाबला हारा। यह दोनों हार श्रीसंत के मन में लंबे समय तक रहीं और जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने इसे गिनाया। क्रिकेटर ने साथ ही कहा कि वह ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को मार डालना चाहते थे। श्रीसंत ने कहा, 'मुझे याद है कि जब हेडन को पहली गेंद यॉर्कर करने के लिए डाली तो उस पर चौका पड़ा था। अगर आपने वो मैच देखा होगा तो मैं बहुत जुनून के साथ दौड़ कर आ रहा था। मैं हर हाल में ऑस्ट्रेलिया को मात देना चाहता था। जिस तरह उन्होंने 2003 वर्ल्ड कप में हमें मात दी थी, वो मेरे दिमाग में थी। मैं उन्हें मार डालना चाहता था।'
श्रीसंत का 2007 वर्ल्ड टी20 के सेमीफाइनल में डाला गया गेंदबाजी स्पेल उनके करियर में सर्वश्रेष्ठ में से एक था और फैंस को अब भी यह याद है। जिस तरह हेडन को आउट करने के बाद श्रीसंत ने जश्न मनाया था, अब भी फैंस में जोश भर देता है। तेज गेंदबाज इस बात के लिए भगवान को धन्यवाद देते हैं कि उन्हें भारत के लिए वो मैच खेलने का मौका मिला। 37 साल के श्रीसंत ने कहा, 'मैं ऑस्ट्रेलियाईयों पर बहुत गुस्सा होता था। मुझे बहुत गर्व है और भगवान का शु्क्र है कि उस मैच के बारे में हर कोई बात करता है। मैंने अपने देश के लिए सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी उस मैच में की। मैंने कई खाली गेंदें डाली। मुझे याद है कि जब मेरी गेंदों पर दो चौके पड़ थे और तब भी कुल मिलाकर मैंने 12 रन खर्च किए थे।' भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 15 रन से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया था
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