सचिन तेंदुलकर के कदमों में कई बड़े रिकॉर्ड, फिर भी इन दो बातों का बड़ा अफसोस, खुद किया खुलासा

Sachin Tendulkar biggest regrets: सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट करियर के दो सबसे बड़े अफसोस के बारे में बताया है। सचिन का करियर 24 साल लंबा रहा।

Sachin Tendulkar
सचिन तेंदुलकर  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • सचिन तेंदुलकर के नाम कई बड़े रिकॉर्ड दर्द हैं
  • उनका करियर दो दशक से भी आधिक का रहा
  • सचिन ने दो बड़े अफसोस का खुलासा किया है

महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने साल 1989 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज किया और कई बड़े रिकॉर्ड अपने नाम किया। उन्होंने दमदार उपलब्धियां हासिल कीं, जो किसी भी क्रिकेटर का ख्वाब हो सकती हैं। उन्होंने 100 अंतरराष्ट्रीय शतक जमाए। सचिन ने 200 टेस्ट और 463 वनडे में 34 हजार से अधिक रन बनाए। आज भी कई दमदार रिकॉर्ड हैं, जो सचिन के कदमों में हैं। उन्होंने 24 साल तक अपनी छाप छोड़ने के बाद साल 2013 में क्रिकेट को अलविदा कह दिया था।  हालांकि, सचिन को अपने करियर को लेकर दो बातों को बहुत अफसोस है। उन्होंने खुद इसका खुलासा किया है।

'गावस्कर मेरे डेब्यू से पहले रिटायर हो गए' 

सचिन अपने शुरुआती दिनों में पूर्व भारतीय दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर के जबरदस्त फैन रहे हैं। हालांकि, दोनों कभी साथ नहीं खेल सके। गावस्कार ने साल 1987 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। मास्टर ब्लास्टर ने क्रिकेट डॉट कॉम से बातजीत में कहा, 'मुझे दो बातों का बेहद मलाल है। पहला यह कि मैं सुनील गावस्कर के साथ कभी नहीं खेला। जब मैं बड़ा हुआ तो गावस्कर मेरे बल्लेबाजी नायक थे और एक टीम में उनके साथ नहीं खेलने का आज भी अफसोस है। गावस्कर मेरे डेब्यू से कुछ साल पहले ही रिटायर हो गए थे।'  सचिन का दूसरा बड़ा अफसोस अपने बचपन के हीरो सर विवियन रिचर्ड्स के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेलना रहा।

'रिचर्ड्स 1991 में रिटायर हुए और तब तक....'

सचिन ने आगे कहा, 'मेरा दूसरा बड़ा अफसोस सर विवियन रिचर्ड्स के खिलाफ नहीं खेल पाना है। हालांकि, मैं भाग्यशाली रहा कि उनके खिलाफ काउंटी क्रिकेट में खेल पाया, लेकिन मुझे अब भी रिचर्ड्स के विरुद्ध एक भी अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेलने का अफसोस है। सर रिचर्ड्स 1991 में रिटायर हुए और तब तक मेरे करियर के दो साल पूरे हो गए थे। हालांकि, हमें एक-दूसरे के खिलाफ खेलने का मौका नहीं मिला।' बता दें कि रिचर्ड्स का शुमार अपने जमाने के धाकड़ बल्लेबाजों में होता है। वह ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से अकेले मैच का रुख पलटने का माद्दा रखते थे। 

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