बांग्‍लादेश क्रिकेट बोर्ड पर भड़के शाकिब, खिलाड़‍ियों पर दबाव बनाने का लगाया आरोप

क्रिकेट
Updated Oct 21, 2019 | 10:05 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

बांग्‍लादेश क्रिकेट बोर्ड के नए नियमों से खुश नहीं हैं बांग्‍लादेश के टेस्‍ट और टी20 कप्‍तान। शाकिब अल हसन का मानना है कि इस नियम से क्रिकेटरों पर दबाव बढ़ाया जा रहा है।

shakib al hasan
शाकिब अल हसन 
मुख्य बातें
  • नए नियमों से संतुष्‍ट नहीं टेस्‍ट और टी20 कप्‍तान शाकिब
  • शाकिब का मानना है कि इस नियम से क्रिकेटरों को दबाया जा रहा है
  • विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्‍लादेश के बल्‍लेबाजों ने रिस्‍ट स्पिनर्स के खिलाफ कम अभ्‍यास किया है

ढाका: बांग्‍लादेश क्रिकेट टीम को हाल ही में अफगानिस्‍तान के हाथों एकमात्र टेस्‍ट में करारी शिकस्‍त झेलनी पड़ी। इससे सबक लेते हुए बांग्‍लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) ने एक नया नियम लागू किया, जिसके तहत बांग्‍लादेश प्रीमियर लीग (बीपीएल) में हिस्‍सा ले रही टीमों को अपनी प्‍लेइंग इलेवन में कम से कम एक लेग स्पिनर को शामिल करना जरूरी है। बीसीबी ने इस निर्देश का पालन नहीं करने वाली दो टीमों के हेड कोच को निलंबित भी कर दिया। अफगानिस्‍तान के खिलाफ शिकस्‍त झेलने के बाद कई क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्‍लादेशी बल्‍लेबाजों का रिस्‍ट स्पिनर्स के खिलाफ कम अभ्‍यास उनकी हार की प्रमुख वजह रहा।

हालांकि, नए नियम से बांग्‍लादेश के टेस्‍ट और टी20 कप्‍तान शाकिब अल हसन संतुष्‍ट नहीं हैं। उनका मानना है कि इस नियम के कारण क्रिकेटरों पर दबाव बढ़ेगा। शाकिब ने कहा, 'कई सालों से हम सीनियर टीम में लेग स्पिनर को नहीं चुन सके, लेकिन अचानक ही हमारी योजना बनी कि बीपीएल में सात लेग स्पिनर्स को शामिल करें। यह फैसला आश्‍चर्य भरा लगा, लेकिन मुझे अभी भी लगता है कि यह फैसला बोर्ड ने ये सोचकर लिया कि अच्‍छा होगा।'

शाकिब ने आगे कहा, 'मेरे ख्‍याल से लेग स्पिनर्स को विश्‍वास और निरंतरता हासिल करने के लिए प्रथम-श्रेणी क्रिकेट में ज्‍यादा ओवर करने चाहिए। बीपीएल अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर का टूर्नामेंट है जहां आप ऐसी स्थितियों का सामना करते हैं, जैसी इंटरनेशनल क्रिकेट में होती है। आप विदेशी क्रिकेटरों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करते हैं। यह वो मंच नहीं जहां खिलाड़ी तैयार किया जाए।'

बांग्‍लादेश के टेस्‍ट कप्‍तान ने कहा, 'आयोजकों की प्रमुख जिम्‍मेदारी सिर्फ राष्‍ट्रीय टीम पर ध्‍यान देना नहीं है। चित्‍तागोंग, राजशाही, खुलना और सिल्‍हेट जैसी जगहों पर जिम, इंडोर सुविधा और दौड़ने की व्‍यवस्‍था होना चाहिए। आप मीरपुर इंडोर व्‍यवस्‍था में 15 मिनट से ज्‍यादा अभ्‍यास नहीं कर सकते क्‍योंकि यह बहुत गर्म हो जाती है। 10 साल से कहा जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद वहां एसी नहीं लगाए गए। यह निराशाजनक है। दूसरे देशों के इंडोर देखिए तो वहां रोशनी और एसी लगे हुए हैं। वैसे, हमारे यहां के प्रथम-श्रेणी मुकाबलों की मैच फीस भी स्‍वीकार्य नहीं है।'

शाकिब ने यह भी कहा, 'बांग्‍लादेश में अपनी जीविका चलाने के लिए उसे फीस बहुत कम मिलती है। चीजें महंगी हो रही हैं। सरकारी अधिकारियों का हर साल वेतन बढ़ाया जाता है, लेकिन हमने देखा कि हर साल हमारे लिए यह समान ही रहा है। इसे कम जरूर किया। बीपीएल और डीपीएल इसके बड़े उदाहरण हैं। मुझे हमेशा ऐसा महसूस होता है कि हमारे देश में क्रिकेटरों को दबाया जा रहा है। यह सही नहीं है। हर किसी के पास बराबरी का मौका है। खिलाड़ी को उतनी कमाई मिलनी चाहिए, जिसका वह हकदार है। अगर टीम उस खिलाड़ी को उतने वेतन पर नहीं लेना चाहती, तो खिलाड़ी उससे निपटेगा। मगर उसे अपना दाम बताने से रोकना सही नहीं।'

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