नई दिल्ली: रावलपिंडी एक्सप्रेस नाम से मशहूर पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज अपने खेलने वाले दिनों में सबसे खतरनाक गेंदबाजों में से एक थे। अख्तर का करियर विवादों और चोटों से भरा रहा, लेकिन अपनी गति और अतिरिक्त उछाल के कारण वह इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे कड़े गेंदबाजों में से एक रहे। अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में कुल 444 विकेट लेने वाले अख्तर की कई भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ कड़ी प्रतिद्वंद्विता रही। हाल ही में 44 वर्षीय अख्तर से पूछा गया कि भारत का सबसे बहादुर बल्लेबाज कौन लगा, जिन्हें उन्होंने गेंदबाजी की। इस बारे में अख्तर के सामने महान सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, एमएस धोनी जैसे धाकड़ बल्लेबाजों के विकल्प रखे गए।
शोएब अख्तर ने टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को भारतीय टीम का सबसे बहादुर बल्लेबाज करार दिया। हेलो ऐप में लाइव के दौरान अख्तर ने कहा, 'लोग कहते थे कि गांगुली तेज गेंदबाजों का सामना करने में घबराते थे। वह मेरा सामना करने में डरते थे। मेरे ख्याल से यह सब बकवास है। सौरव गांगुली सबसे बहादुर बल्लेबाज थे। वह एकमात्र ओपनर थे, जो नई गेंद से मेरा सामना करते थे। उन्हें पता था कि उनके पास शॉट्स नहीं थे। मैंने गेंदबाजी करते समय उनकी छाती को भी निशाना बनाया, लेकिन उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और फिर रन बनाए। इन चीजों को देखते हुए मैं उन्हें बहादुर बल्लेबाज मानता हूं।'
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में गांगुली की बात करें तो पूर्व बाएं हाथ के बल्लेबाज को ऑफ साइड का भगवान कहा जाता था। उन्होंने 113 टेस्ट और 311 वनडे में क्रमश: 7212 और 11363 रन बनाए। खुलकर बल्लेबाजी करने के अलावा गांगुली ने सशक्त लीडर के रूप में दुनिया में अपनी पहचान बनाई, जिन्होंने भारतीय टीम में जीत की आदत डाली। मैच फिक्सिंग मामले के बाद गांगुली ने भारतीय टीम की बागडोर संभाली और तेंदुकलर, द्रविड़, अनिल कुंबले, लक्ष्मण व जवागल श्रीनाथ के साथ मिलकर नई टीम का निर्माण किया, जिसमें कई मैच विजयी युवा खिलाड़ी शामिल हुए।
गांगुली की कप्तानी में भारत ने नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002 का खिताब जीता। 2003 में भारतीय टीम रनर्स-अप रही और विदेशों में टीमों को कड़ी प्रतिस्पर्धा देना शुरू की। गांगुली ने खेल से संन्यास लेने के बाद प्रशासन की तरफ रुख किया और क्रिकेट के समान ही यहां भी जबर्दस्त सफलता हासिल की। गांगुली ने पहले क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (कैब) सचिव से शुरुआत करते हुए अध्यक्ष पद संभाला। फिर वह बीसीसीआई अध्यक्ष बने और बहुत ही कम समय में टीम इंडिया को डे/नाइट टेस्ट खिलाया। अब चर्चा है कि अगर बीसीसीआई में उनका कार्यकाल आगे नहीं बढ़ता तो वह आईसीसी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर सकते हैं, जिसके लिए कई पूर्व क्रिकेटर उन्हें उपयुक्त ठहरा चुके हैं।
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