मुंबई: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में अब 'दादागिरी' चलेगी। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली बुधवार को आधिकारिक रूप से बीसीसीआई के अध्यक्ष बन गए हैं। मुंबई में बीसीसीआई के हेडक्वार्टर में सालाना बैठक एजीएम में गांगुली और उनकी टीम को कार्यभार सौंपा गया। 'बंगाल टाइगर' गांगुली के बीसीसीआई बॉस बनते ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) के 33 महीने का कार्यकाल भी समाप्त हो गया।
सौरव गांगुली से बोर्ड सदस्यों को उम्मीद है कि वह उसकी छवि सुधारने में कामयाब होंगे। आईसीसी के सामने बीसीसीआई की पोजीशन को भी गांगुली मजबूत करने के लिए अपना जोर लगाएंगे। बता दें कि गांगुली निर्विरोध बीसीसीआई अध्यक्ष बने। उत्तराखंड के महिम वर्मा नए उपाध्यक्ष बने। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह ने सचिव पद हासिल किया। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई अरुण धूमल बोर्ड के कोषाध्यक्ष बने जबकि केरल के जयेश जॉर्ज ने संयुक्त सचिव पद की जिम्मेदारी संभाली। ब्रजेश पटेल आईपीएल के नए चेयरमैन होंगे।
गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से क्रिकेट फैंस बहुत खुश हैं, लेकिन कई लोगों के मन में सवाल चल रहा है कि वह सिर्फ 9 महीने ही क्यों इस पद पर बने रहेंगे। 'प्रिंस ऑफ कोलकाता' का कार्यकाल जुलाई 2020 तक रहेगा। इसके बाद उनका 'कूलिंग ऑफ पीरियड' चलेगा, जिसके चलते उन्हें अपने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी से मुक्त होना पड़ेगा।
कार्यकाल सिर्फ 9 महीने क्यों
बीसीसीआई के नए संविधान के प्रावधान के मुताबिक एक प्रशासनिक अधिकारी केवल 6 साल बोर्ड में अपनी सेवाएं दे सकता है। गांगुली क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के पहले सचिव और फिर अध्यक्ष के रूप में पांच साल पूरे कर चुके हैं। ऐसे में बतौर प्रशासनिक अधिकारी उनकी सेवा 9 महीने की बची है। यही वजह है कि गांगुली का कार्यकाल 9 महीने तक चलेगा और फिर इसके बाद वह 'कूलिंग ऑफ पीरियड' पर चले जाएंगे।
क्या है कूलिंग ऑफ पीरियड
गांगुली के पास बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष 278 दिन काम करने के लिए रहेंगे। बीसीसीआई के नए संविधान के मुताबिक गांगुली को फिर तीन साल के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड पर रहना अनिवार्य होगा। दरअसल, नए संविधान में बताया गया है कि बीसीसीआई या राज्य क्रिकेट संघ का अधिकारी लगातार 6 साल तक अपनी सेवाएं दे सकता है और इसके बाद उसे कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाना अनिवार्य होगा। गांगुली ने 27 जुलाई 2014 को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (कैब) के संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी संभाली थी। इसके बाद 24 सितंबर 2015 को वह कैब अध्यक्ष बने थे। इस तरह उनके पांच साल तो कैब में ही पूरे हो गए और फिर वह तीन साल इनसे दूर रहेंगे और आराम करेंगे।
कैसे होगी गांगुली की वापसी
अब जब सौरव गांगुली तीन साल के लिए प्रशासनिक गतिविधियों से अनिवार्य रूप से दूर रहेंगे तो फिर सवाल यह उठता है कि बोर्ड में उनकी वापसी दोबारा कैसे हो सकती है। गांगुली की वापसी ऐसे हो सकती है कि जब अगली बार चुनाव हो तो उन्हें दोबारा ज्यादा लोगों का समर्थन मिले। वह तीन साल के बाद दोबारा बोर्ड में जिम्मेदारी संभालने के लिए योग्य बन जाएंगे। यानी 2023 में गांगुली की बीसीसीआई में वापसी हो सकती है। गांगुली अगर इस कार्यकाल में बेहतरीन प्रदर्शन करने में सफल रहते हैं तो फिर तीन साल के बाद वह दोबारा बोर्ड में धमाकेदार वापसी कर सकते हैं।
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