नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर में पांचवां टेस्ट कोविड-19 खतरे के कारण रद्द हुआ, जिसने काफी सुर्खियां बटोरी। भारतीय टीम के सहायक फिजियो योगेश परमार कोविड-19 की चपेट में आए, जिसने भारतीय खेमे में खलबली मचा दी। पहले, मैच का एक दिन स्थगित हुआ था, लेकिन बाद में बीसीसीआई और ईसीबी के अधिकारियों ने टेस्ट मैच नहीं खेलने का फैसला किया था।
कई विशेषज्ञ और आलोचकों का इस मामले पर अलग नजरिया रहा। कुछ का मानना है कि रवि शास्त्री और टीम को किताब लांच में शामिल नहीं होना था। कुछ का कहना है कि भारतीय खिलाड़ियों और टीम प्रबंधन पर उंगली नहीं उठाना चाहिए। बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने अब तक इस मामले पर चुप्पी साध रखी थी। मगर मैनचेस्टर टेस्ट रद्द होने पर अब उन्होंने प्रतिक्रिया दी है।
टेलीग्राफ इंडिया से बातचीत में गांगुली ने बताया कि मैच होगा, लेकिन पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का हिस्सा नहीं होगा। गांगुली ने कहा, 'ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट रद्द हो गया है। ईसीबी के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि उन्हें आर्थिक रूप से भारी नुकसान हुआ है। चीजों को ठीक होने दीजिए। फिर हम इस पर बात करेंगे और कोई फैसला करेंगे। यह चाहे अगले साल हो या फिर केवल एक मैच हो, लेकिन अब यह सीरीज का हिस्सा नहीं रहेगा।'
सौरव गांगुली ने बताया कि परमार के कोचिड-19 की चपेट में आने के बाद खिलाड़ी घबरा गए थे। खिलाड़ियों का उनसे करीबी संपर्क था, जो उनके भी वायरस की चपेट में आने का खतरा था। यही वजह थी कि खिलाड़ियों ने मैनस्टर टेस्ट खेलने से क्यों मना किया।
सौरव गांगुली ने कहा, 'खिलाड़ियों ने खेलने से मना किया, लेकिन आप उन्हें दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। योगेश परमार खिलाड़ियों के काफी करीबी संपर्क में थे। नितिन पटेल ने खुद को एकांतवास किया था, तो योगेश ने खिलाड़ियों के साथ खुलकर समय बिताया उनके कोविड-19 टेस्ट भी किए। वह खिलाड़ियों को मसाज भी देता है, तो उनके प्रत्येक दिन संपर्क में रहता था। जब खिलाड़ियों को योगेश परमार का पता चला तो वह डर गए। उन्हें वायरस के संपर्क में आने का डर लगा। बबल में रहना आसान नहीं है। आपको उनकी भावनाओं की कद्र करनी होती है।'
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