"अगर भारत उस सीरीज में हार जाता तो सौरव गांगुली को कप्‍तानी से हटा दिया जाता", पूर्व क्रिकेटर का खुलासा

Sourav Ganguly might loose captaincy: टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर ने सौरव गांगुली की कप्‍तानी को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्‍होंने कहा कि अगर भारतीय टीम 2001 में ऑस्‍ट्रेलिया से सीरीज हार जाती तो सौरव गांगुली से कप्‍तानी छिन सकती थी।

Sourav Ganguly
सौरव गांगुली 
मुख्य बातें
  • सौरव गांगुली को कप्‍तानी से हटाए जाने पर पूर्व क्रिकेटर का बड़ा खुलासा
  • अगर भारत 2001 में ऑस्‍ट्रेलिया से हार जाता तो गांगुली से छिन जाती कप्‍तानी
  • भारतीय टीम ने 2001 में ऑस्‍ट्रेलिया को टेस्‍ट सीरीज में 2-1 से मात दी थी

नई दिल्‍ली: भारतीय टीम ने 2001 में स्‍टीव वॉ के नेतृत्‍व वाली मजबूत ऑस्‍ट्रेलियाई टीम को टेस्‍ट सीरीज में मात दी थी, जो सौरव गांगुली की कप्‍तानी के ऐतिहासिक पलों में से एक मानी जाती है। इस सीरीज की भारतीय क्रिकेट इतिहास में भी अपनी अलग जगह है। यहां से गांगुली बतौर भारतीय कप्‍तान सफलता की सीढ़ी चलते गए और उन्‍होंने मैच फिक्सिंग के काले साएं से टीम को उबारा। गांगुली के नेतृत्‍व में भारतीय टीम ने 2002 नेटवेस्‍ट सीरीज खिताब जीता और फिर 2003 में दक्षिण अफ्रीका में हुए विश्‍व कप के फाइनल में पहुंची।

भारतीय टीम ने 2001 में टेस्‍ट सीरीज में ऑस्‍ट्रेलिया को मात दी थी, उसमें ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। पूर्व भारतीय ऑफ स्पिनर तब केवल 21 साल के थे और उन्‍होंने कोलकाता टेस्‍ट में हैट्रिक लेकर इतिहास रचा था। हरभजन सिंह टेस्‍ट में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बने थे। वो गांगुली ही थे, जिन्‍होंने हरभजन‍ सिंह को सीरीज में खिलाने का समर्थन किया था और यह स्पिनर का बड़ा अंतरराष्‍ट्रीय ब्रेक बन गया।

दादा वहां नहीं होते: भज्‍जी

हालांकि, हरभजन सिंह का मानना है कि उन्‍हें स्‍क्‍वाड में शामिल करने का गांगुली का फैसला खुद के करियर के लिए भी अच्‍छा रहा। हरभजन सिंह ने स्‍पोर्ट्सकीड़ा से बातचीत में एक सवाल का जवाब दिया, जिसमें पूछा गया कि क्‍या होता अगर हरभजन सिंह का समर्थन सौरव गांगुली नहीं करते? भज्‍जी ने कहा, 'तो वो कप्‍तानी से हट जाते। मेरे ख्‍याल से अगर ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ वो सीरीज नहीं जीतते तो दादा वहां नहीं होते।'

टर्बनेटर के नाम से मशहूर हरभजन सिंह ने कहा, 'ऐसा लगता है कि भगवान ने सौरव गांगुली को मेरे लिए भेजा है। भगवान ने कहा कि इस बच्‍चे का हाथ थाम लो। गांगुली ने मेरा हाथ थामा और मैंने भगवान का हाथ थामा। और मैंने लगातार अपना काम किया। इस तरह मैंने अपना नाम बनाया और सौरव गांगुली ने बड़ी सीरीज जीती, जिसके कारण उनका कार्यकाल आगे बढ़ा।'

'मैं गांगुली का शुक्रगुजार हूं'

41 साल के हरभजन सिंह ने कहा कि वो गांगुली के शुक्रगुजार है कि उनका समर्थन किया गया। हरभजन ने कहा कि अगर वो कड़ी मेहनत नहीं करते तो अपने करियर का इस तरह आनंद नहीं उठा पाते। हरभजन सिंह ने कहा, 'हां, गांगुली ने मेरा समर्थन किया। इसमें कोई शक नहीं। मैं हमेशा इसका शुक्रगुजार रहूंगा। मगर साथ ही साथ आपका प्रदर्शन आपके करियर को विशेष बनाता है। कप्‍तान आपको एक मौका देता है। सौरव गांगुली ने मुझे सही समय पर मौका दिया। वो मेरे लिए मुश्किल समय था। इसके बाद व्‍यक्ति पर था कि कैसे उसने प्रदर्शन किया।'

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