नई दिल्ली: बॉलीवुड के युवा अभिनेता और रील लाइफ के एमएस धोनी सुशांत सिंह राजपूत ने रविवार को मौत को खुद गले लगा लिया। महज 34 साल की उम्र में उनका दुनिया से इस तरह चला जाना किसी को भी रास नहीं आया। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार मुंबई के विलेपार्ले के श्मशान घाट पर किया गया और वो पंचतत्व में विलीन हो गए।
सुशांत को ने सात साल लंबे बॉलीवुड करियर में पहचान टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बायोपिक एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी से मिली थी। एक खुशमिजाज इंसान के रूप में उनकी पहचान थी। एमएस धोनी फिल्म के लिए सुशांत ने 18 महीने तक कड़ी मेहनत की। उन्होंने जिस तरह खुद को कड़ी मेहनत से धोनी के सांचे में ढाला। उन्हें बांद्रा में अभ्यास करता देख सचिन तेंदुलकर जैसा दिग्गज भी प्रभावित हो गया था। ऐसे में सुशांत ने फिल्म की शूटिंग के बाद धोनी से कहा था कि भाईसाहब लोग मुझमें आपको ढूंढेंगे। ये किस्सा धोनी के दोस्त अरुण पांडे ने सुशांत सिंह राजपूत को याद करते हुए इंडियन एक्सप्रेस से साझा किया है।
धोनी ने कहा रणजी खेल जाओगे तुम
अरुण पांडे ने सुशांत को याद करते हुए कहा, मुझे अभी भी याद है जब सुशांत ने अपने फोन पर माही को तैयारी के दौरान हैलीकॉप्टर शॉट लगाते हुए दिखाया तो धोनी ने जो प्रतिक्रिया दी थी उसे सुनकर उनके चेहरे पर बच्चे जैसी मुस्कान आ गई थी। धोनी ने क्लिप देखकर कहा, अरे तू तो बिलकुल फोटोकॉपी कर दिया। रणजी ट्रॉफी खेल जाओगे तुम।'
उन्होंने आगे कहा, मुझे सुशांत के देहांत की खबर मिले कुछ घंटे पहले फोन पर मिली। इस खबर को सुनकर मुझे झटका लगा और तब से अब तक मेरे दिमाग में उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा आ रहा है। उन्होंने बताया कि मैंने, धोनी और सुशांत ने एमएस धोनी की फिल्म के प्रमोशन के लिए एक साथ बहुत सफर किया। फिल्म के कॉन्सेप्ट से लेकर रिलीज होने तक मैं और सुशांत डेढ़ साल तक एक साथ थे।
धोनी का रोल करने के लिए की कड़ी मेहनत
पांडे ने आगे बताया कि कई बार तो वो पूरा दिन मेरे साथ रहता था। कई बार वो पूरे दिन माही के साथ रहते थे कई बार दूर से उन्हें देखते रहते थे। वो बारीकी से ये देखते थे कि माही कैसे स्टैंड में बैठते हैं वो किस तरह टीम का नेतृत्व करते हैं। वो कई बार धोनी को बताए बगैर होटल लॉबी में बैठकर धोनी को देखते रहते थे कि वो अपने जानने वालों, साथी खिलाड़ियों और अनजान लोगों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं। धोनी जब अपने कमरे में कुछ करते थे तब सुशांत चुपचाप उन्हें देखते रहते थे जैसे कि वो कमरे में हैं ही नहीं।
अगली बार जब वो धोनी से मिले तो वो अपने साथ कई क्लिप्स लेकर आए जिसमें वो धोनी जैसा दिखने की कोशिश कर रहे थे जिसमें बैटिंग करते हुए और मैदान के बाहर की तस्वीरें शामिल थीं। वो धोनी को इन तस्वीरों को दिखाने के लिए बेहद उत्साहित थे।
धोनी ने कहा, कितने सवाल पूछता है तू
उनकी धोनी से लंबी बातचीत होती थी और वो उनसे लगातार सवाल पूछते रहते थे। अगर वो किसी सवाल के जवाब से संतुष्ट नहीं होते थे तो वो उसी सवाल को किसी दूसरे रूप में धोनी के सामने रख देते थे। एक बार की बात है जब धोनी ने अपनी आंख घुमाते हुए कहा 'अरे भाई कितने सवाल पूछता है तू!' ऐसे में सुशांत ने जवाब दिया, भाईसाब हरकोई आपको मुझमें ढूंढेगा, मुझे सबकुछ वैसे ही करना होगा जैसा आप करते हैं।'
मैं उनके अंदर के उतावलेपन को समझता था। वो भी जल्दी से दूसरे के दिमाग को पढ़ने की कोशिश करते थे। वो धोनी के कैरेक्टर में ढलने के लिए अपने अंदर किसी भी तरह की शंका नहीं रखना चाहते थे। वो बहुत से सवाल पूछता था और कहता था सर जनता जानती है उसको बहुत अच्छे से।'
धोनी की तरह सफल होना चाहते थे सुशांत
उसने धोनी की बल्लेबाजी को कॉपी करने की अपनी तरह से कोई कमी नहीं छोड़ी और उनकी बल्लेबाजी के हर अंदाज को हूबहू परदे पर उतार दिया। एक एक बारीकी का उन्होंने ख्याल रखा यहां तक कि कंधे को ऊपर करना हो, शर्ट की बांह को ऊपर करना या फिर ग्लब्स को टाइट करना। उन्होंने हर बारीकी का ख्याल रखा।
अरुण पांडे ने धोनी की भूमिका इतने शानदार अंदाज से अदा कर सकने के बारे में कहा, वो ऐसा इसलिए कर पाए क्योंकि वो धोनी को आदर्श मानते थे। वो उनके लिए प्रेरणा स्त्रोत थे। सुशांत फिल्म जगह के नहीं थे वो भी धोनी की तरह छोटे से शहर से आए थे। वो धोनी की तरह सोचते थे और उनकी तरह ही कुछ बड़ा करना चाहते थे।
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