नई दिल्ली: साल 1996-97 में भारतीय टीम सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका दौरे पर गई थी। इससे ठीक पहले इंग्लैंड दौरे पर राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली जैसे बल्लेबाज टीम इंडिया को मिल गए थे। जिन्होंने इंग्लैंड के ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर अपने टेस्ट करियर की शानदार शुरुआत की थी।
शुरुआती दो मैचों मे नाकाम रहे द्रविड़
दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले ही माना जा रहा था कि तकनीकी रूप से दक्ष राहुल द्रविड़ टीम के लिए तेज पिचों पर बेहद कारगर साबित होंगे। लेकिन सीरीज के शुरुआती दो टेस्ट मैचों में राहुल द्रविड़ की एलन डोनाल्ड, शॉन पोलक, ब्रायन मैकमिलन और लांस क्लूजनर जैसे तेज गेंदबाजों के सामने नहीं चली और वो 7, 27*, 2 और 12 रन बना सके। टीम इंडिया को दोनों ही मैचों में हार का मुंह देखना पड़ा।
टीम इंडिया के लिए साख का सवाल था जोहान्सबर्ग टेस्ट
जब टीम इंडिया जोहान्सबर्ग में तीसरा और आखिरी मैच खेलने पहुंची उससे पहले वो सीरीज गंवा चुकी थी। इस मैच में भारतीय टीम के सामने साख बचाने की चुनौती थी। तीसरे टेस्ट में भी टीम इंडिया की शुरुआत खराब रही। सलामी बल्लेबाज विक्रम राठौड़ सस्ते में पवेलियन लौट गए थे। ऐसे में राहुल द्रविड़ को जल्दी बल्लेबाजी के लिए मैदान में उतरना पड़ा। लेकिन इसके बाद उन्होंने एक ठछोर संभालते हुए सचिन तेंदुलकर के साथ अर्धशतकीय और सौरव गांगुली(73)के साथ शतकीय साझेदारी करके टीम को परेशानी से उबरा।
द्रविड़ ने जड़ा करियर का पहला टेस्ट शतक
इस पारी के दौरान राहुल द्रविड़ ने करियर का पहला टेस्ट पूरा किया और टीम को पहली पारी में 410 रन के स्कोर तक पहुंचाया। वो पारी में आउट होने वाले भारतीय बल्लेबाज रहे। द्रविड़ ने 362 गेंद का सामना करते हुए 148 रन बनाए। अपनी इस पारी के दौरान उन्होंने 21 चौके जड़े।
पहली पारी में हासिल की 89 रन की बढ़त
इस शानदार शुरुआत का फायदा भारतीय गेंदबाजों ने भी उठाया और दक्षिण अफ्रीकी टीम को पहली पारी में 321 रन पर ढेर कर दिया। शॉन पोलक(79) सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। पहली पारी में भारत को 89 रन की बढ़त हासिल हुई। जवागल श्रीनाथ से सबसे ज्यादा 5 विकेट लिए।
दूसरी पारी में टीम को मिली शानदार शुरुआत
89 रन की बढ़त के साथ दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया को नयन मोंगिया और विक्रम राठौड़ ने शानदार शुरुआत दी। दोनों ने पहले विकेट के लिए 90 रन की साझेदारी की। मोंगिया के 50 रन बनाकर आउट होने के बाद राहुल द्रविड़ ने एक बार फिर मोर्चा संभाला और पहली पारी की तरह फिर से पिच पर टिक गए। एक छोर संभालते हुए उन्होंने एक बार फिर सौरव गांगुली(60) के साथ शतकीय साझेदारी की। इस पारी में द्रविड़ 81 रन बनाकर आउट हुए। उनके आउट होते ही टीम इंडिया ने 8 विकेट पर 266 रन पर अपनी पारी घोषित कर दी।
95 रन पर दक्षिण अफ्रीका ने गंवा दिए थे 7 विकेट
जीत के लिए मेजबान दक्षिण अफ्रीका को चौथी पारी में 356 रन का लक्ष्य मिला। उनकी शुरुआत बेहद खराब रही और 4 रन पर ही उनके दोनों ओपनर एंडर्यू हडसन और गैरी किर्स्टन पवेलियन लौट गए थे। इसके बाद एडम बाकर ने डेरेल कलिनन के साथ पारी को संभाला लेकिन 49 के स्कोर पर टीम को तीसरा झटका लग गया।
खराब रोशनी के कारण समय से पहले खत्म हुआ खेल
ऐसी मुश्किल कलिनन एक छोर पर टिके रहे और उन्होंने शानदार शतक(122) जड़ा। लेकिन दूसरे छोर से लगातार विकेट गिरते रहे। 95 रन पर दक्षिण अफ्रीका ने सात विकेट गंवा दिए थे। ऐसे में लांस क्लूजनर ने उनका साथ दिया और आठवें विकेट के लिए 127 रन की साझेदारी करके टीम को उबारने की कोशिश की। क्लूजनर के आउट होने के बाद एक बार फिर टीम मुश्किल में नजर आने लगी। लेकिन मेजबान टीम की भाग्य से नाथ दिया और खराब रोशनी की वजह से मैच को 4 ओवर पहले रोक देना पड़ा।
फिसल गया जीत का शानदार मौका
इसके बाद मैच दोबारा शुरू नहीं हो सका और टीम इंडिया की जीत की आशा समाप्त हो गई। एलन डोनाल्ड और पॉल एडम्स जैसे दो पुछल्ले बल्लेबाजों को विकेट हासिल करना टीम इंडिया के लिए बड़ी चुनौती नहीं था। लेकिन बारिश और खराब रोशनी ने भारतीय टीम की जीत के अरमानों पर पानी फेर दिया। मैच बराबरी पर समाप्त हुआ और भारत के हाथ से जीत का शानदार मौका फिसल गया। द्रविड़ को इस मैच की दोनों पारियों में शानदार बल्लेबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया।
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