नई दिल्ली: वेस्टइंडीज की मेजबानी में खेला जा रहा अंडर-19 विश्व कप अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। बांग्लादेश के खिलाफ टीम इंडिया की जीत के साथ ही सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चारों टीमों के नाम का फैसला हो गया है। भारत ने क्वार्टर फाइनल मुकाबले में डिफेंडिंग चैंपियन बांग्लादेश को 9 विकेट के अंतर से मात दी। टीम में शामिल सबसे कम उम्र के बल्लेबाज अंगकृष रघुवंशी ने एक बार फिर पिच पर डटे और अपनी टीम के लिए 44(65) रन की पारी खेली।
भारतीय टीम ने मुश्किल विकेट पर जीत के लिए 112 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए दूसरे ही ओवर में हरनूर सिंह का विकेट गंवा दिया था। हरनूर ने तीन गेंद का सामना किया और अपना खाता नहीं खोल सके। हरनूर जब आउट हुए तब टीम का खाता भी नहीं खुला था। ऐसे में बांग्लादेश की शानदार तेज गेंदबाजी का सामना करते हुए अंगकृष ने शेख राशिद के साथ टीम को संभाला और टीम को मुश्किल से उबारते हुए 50 रन के पार पहुंचाया।
निपन मंडल ने किया शिकार
15 ओवर के बाद जब बल्लेबाजी आसान हो गई तब 70 रन के स्कोर पर उन्होंने कवर के ऊपर से निपन मंडल की गेंद पर चौका जड़ने की कोशिश की और लपके गए। वो 65 गेंद में 44 रन बनाकर आउट हुए। जब वो पवेलियन लौटे तब तक भारत मुश्किल से उबर चुका था। बांग्लादेश की घातक गेंदबाजी के सामने वो पिच पर डटे रहे और शानदार शॉट्स खेलते रहे। उन्होंने अपनी पारी के दौरान उन्होंने 7 शानदार चौके जड़े।
खराब शुरुआत के बाद बने भारत के सबसे सफल बल्लेबाज
अंगकृष के लिए टूर्नामेंट की शुरुआत अच्छी नहीं रही था। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले मैच में वो 5 रन बनाकर आउट हो गए थे। लेकिन इसके बाद उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ मुकाबले में 79 रन की पारी खेली और मैन ऑफ द मैच चुने गए। इसके बाद युगांडा के खिलाफ उन्होंने शानदार शतक(144) जड़ दिया।
अब तक विश्व कप में खेले 4 मैच की चार पारियों में अंगकृष रघुवंशी ने 68 के औसत और 97.49 के स्ट्राइक रेट से 272 रन बनाए हैं। वो टूर्नामेंट में भारत की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। टूर्नामेंट के वो तीसरे सबसे सफल बल्लेबाज है। विश्व कप में वो एक शतक और एक अर्धशतक जड़ चुके हैं। युगांडा के खिलाफ उन्होंने 144 रन की पारी खेली थी। लेकिन राज बावा ने उसी मैच में 162 रन नाबाद पारी खेलकर उनके शतक की चमक थोड़ी फीकी कर दी थी लेकिन मुश्किल वक्त में पिच पर टिककर उन्होंने एक बार फिर अपनी प्रतिभा साबित कर दी।
खेलों से गहरा पारिवारिक नाता
अंगकृष भी ऐसे परिवार से हैं जिसका खेलों से पारिवारिक नाता है। ऐसा कहें कि उनकी रगों में खून नहीं खेल दौड़ता है तो वो गलत नहीं होगा। दिल्ली में जन्में अंगकृष की मां मलिका बॉलीवॉल की खिलाड़ी रही हैं वो भारतीय टीम की सदस्य रही हैं। वहीं पिता अवनीश टेनिस में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। ऐसे में खेलों की तरफ रुझान होना लाजिमी था। अंगकृष का एक भाई भी है जिसने पिता का टेनिस रैकट थामा तो अंगकृष ने क्रिकेट का बल्ला पकड़ने का फैसला किया।
11 साल की उम्र में छोड़ दिया था घर
दिल्ली में 5 जून 2005 को जन्में अंगकृष ने बेहद कम उम्र में हाथ में बल्ला थाम लिया था। लेकिन जब बतौर करियर इसे अपनाने की बात आई तो पिता ने इसके लिए उन्हें मुंबई भेजने का फैसला किया। महज 11 साल की उम्र में उन्हें टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर अभिषेक नायर से कोचिंग लेने मुंबई पहुंच गए। सपनों की नगरी मुंबई ने भी अंगकृष का भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना बेहद कम उम्र में पूरा कर दिया। पिछले साल अहमदाबाद में आयोजित वीनू मांकड ट्रॉफी में महज 15 साल की उम्र में चार मैच में 2 अर्धशतक सहित कुल 214 रन बनाकर चयनकर्ताओं को मोहित कर लिया। इसके बाद उन्हें भारत की अंडर-19 टीम में विश्व कप के लिए शामिल कर लिया गया।
रोचक है मुंबई जाने का किस्सा
अंगकृष रघुवंशी के चाचा साहिल कुकरेजा मुंबई के लिए क्रिकेट खेल चुके हैं। वो मुंबई की टीम के ओपनर रहे हैं। उनकी सलाह पर ही अंगकृष के पिता ने अभिषेक नायर से संपर्क किया था। जब अंगकृष मुंबई में अभिषेक नायर के पास पहुंचे तो उन्होंने विल्सन कॉलेज जिमखाना क्लब में एक सप्ताह तक अंगकृष के साथ अभ्यास किया। इसके बाद नायर ने पिता अवनीश को बेटे को मुंबई भेजने के लिए राजी कर लिया। तब से अंगकृष मुंबई में रह रहे हैं। अंगकृष और अभिषेक के बीच समय के साथ प्रगाढ़ता बढ़ती चली गई। वो उन्हें अपने बेटे की तरह मानते हैं और उनके ही घर पर रहते हैं।
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