भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान के रूप में गुरुवार को इंग्लैंड का तीसरा दौरा शुरू किया। वह आधुनिक क्रिकेट में चार बेस्ट बल्लेबाजों में से एक हैं, जिनका 2014 में इंग्लैंड का पहला दौरा काफी खराब रहा था और स्विंग गेंदबाजी के सामने वह लड़खड़ाते नजर आए थे।
कोहली ने 2014 के इंग्लैंड दौरे पर 13.4 की औसत से 10 पारियों में केवल 134 रन बनाए थे। चार साल बाद वह एक सफल बल्लेबाज के रूप में लौटे और द्विपक्षीय सीरीज में उन्होंने 59.3 की औसत से 10 पारियों में 593 रन बनाए थे।
32 साल के कोहली ने भारत के लिए अग तक 60 टेस्ट मैचों में कप्तानी की है, जिसमें भारत ने 36 जीते हैं। वह सबसे ज्यादा टेस्ट मैच जीतने वाले भारतीय कप्तान हैं। कोहली ने इंग्लैंड रवाना होने से पूर्व भारतीय मीडिया के साथ बातचीत में कहा, "सबसे पहले मैं चार साल बड़ा हूं। यही एक अंतर है। लेकिन इसके अलावा मुझे नहीं लगता कि मानसिकता बिल्कुल बदली है। मानसिकता हमेशा वहां जाने और अपनी टीम के लिए प्रदर्शन करने की थी। मुझे 2018 में नेतृत्व करने का मौका मिला था और बाहर से जिस तरह की स्वीकृति मिली थी, उसके विपरीत, हम समझते हैं कि हमने वहां किस तरह का क्रिकेट खेला।"
कोहली ने कहा कि हालांकि भारत 2018 की सीरीज 1-4 से हार गया था, लेकिन वे कभी मुकाबले से बाहर नहीं हुए। उन्होंने कहा, " लॉर्डस में टेस्ट को छोड़कर हम कभी मुकाबले से बाहर नहीं हुए। इसलिए, मैं इसे केवल टीम में अपनी स्थिति के विकास के रूप में देखता हूं। 2018 हमारे लिए वास्तव में वहां जाने और घर से दूर प्रदर्शन करने की शुरूआत थी। हमने किया ऑस्ट्रेलिया (2018-19 सीरीज जीत) से काफी पहले।"
कोच रवि शास्त्री ने कहा कि कोहली 2014 के दौरे के बाद से बेहतर हुए हैं और उन्होंने अनुभव में हासिल किया है। शास्त्री ने मीडिया से कहा, " 2014 के कोहली और अब स्लिमर और फिटर हैं। वह टीम के कप्तान और भारत के सबसे सफल कप्तान हैं।"
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