विराट ने बताया- 'बचपन में ये सोचकर सोता था कि जो मैच भारत हारा, उसे मैं जीत सकता हूं'

Virat Kohli reveals his childhood secrets: टीम इंडिया के दिग्गज कप्तान विराट कोहली ने तमीम इकबाल से बात करते हुए बचपन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें सामने रखीं।

Virat Kohli
Virat Kohli  |  तस्वीर साभार: IANS

नई दिल्ली। Virat Kohli-Tamim Iqbal chat: टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने जूनियर क्रिकेट से दुनिया के शीर्ष क्रिकेटर बनने तक का लंबा सफर तय किया है। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर वो कर दिखाया जिसकी इच्छा हर क्रिकेटर को होती है। विराट बचपन से ही क्रिकेट के दीवाने थे और टीम इंडिया के सभी मैच देखा करते थे। उन्होंने मंगलवार को बांग्लादेशी बल्लेबाज तमीम इकबाल के साथ ऑनलाइन चैट के दौरान बचपन में क्रिकेट की दीवानगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बात बताई।

विराट कोहली ने बताया कि वो बचपन में यह सोच कर सोते थे कि जो मैच भारत जीत नहीं पाया वो उस मैच को जीत सकते हैं। विराट ने कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो, मैं जब छोटा था, मैं भारत के मैच देखता था और उनकी हार देखता था। मैं ये सोचते हुए सोता था कि मैं ये मैच जीत सकता था। अगर मैं 380 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहा हूं तो मैंने कभी नहीं सोचा कि हम इसे हासिल नहीं कर सकते।' 

वो मैच जिसने कोहली की छवि बदल दी

कोहली ने इस तरह के एक मैच का जिक्र भी किया जो उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ खेला था और भारत को जितवाया था। यही मैच था जिसने कोहली की छवि को एक तरह से बदल कर रख दिया था। कोहली ने कहा, '2011 में होबार्ट में हमें क्वालीफाई करने के लिए 40 ओवरों में 340 रन बनाने थे। ब्रेक पर मैंने सुरेश रैना से कहा हम इसे टी-20 मैच की तरह खेलेंगे। 40 ओवर लंबा समय है। पहले 20 खेलते हैं और देखते हैं कि कितने रन बनते हैं और फिर अगला टी-20 खेलेंगे।'

खुद पर शक नहीं करता

विराट कोहली ने ये भी बताया कि वो कभी भी अपने विचारों पर शक नहीं करते। उन्होंने कहा, 'ईमानदारी से बताऊं तो मैंने कभी अपने आप पर शक नहीं किया। हर इंसान में कमजोर और ताकतवर पहलू होते हैं। दौरे पर जब आपका नेट सेशन अच्छा न रहा हो तो आप सोचते हो कि आप लय में नहीं हो। हां शक होता है और ये आपके दिमाग में चलता रहता है। इससे निकलने का रास्ता सिर्फ यही है कि आप तब तक लगातार मेहनत करते रहो जब आपको यह न लगने लगे कि यह सिर्फ एक रुकावट थी। अगर मुझे लगता है कि मैं अच्छा हूं तो हूं।'

नकारात्मक आवाजें बाहर से हमेशा आती हैं

31 साल के इस खिलाड़ी ने कहा, 'मैच में जो स्थिति होती है उसकी सबसे अच्छी बात यह है कि आपको ज्यादा सोचना नहीं होता। आप अपना रोल जानते हुए इस पर प्रतिक्रिया देते हो। नकारात्मक आवाजें हमेशा मैदान के बाहर आती हैं जब आप लड़ने वाली स्थिति में नहीं होते हो।' गौरतलब है कि विराट कोहली ने कई बार दर्शकों का गुस्सा झेला है। शुरुआत में वो आक्रामक होते हुए उल्टा जवाब दे देते थे लेकिन जैसे-जैसे उनका अनुभव और जिम्मेदारियां बढ़ीं, वैसे-वैसे वो परिपक्व होते चले गए।

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