IND vs ENG: जानिए कितने करोड़ रुपए की लागत से बना नरेंद्र मोदी स्टेडियम, जहां पिंक बॉल से हो रहा तीसरा टेस्ट

India vs England Pink Ball Test: भारत और इंग्लैंड के बीच पिंक बॉल टेस्ट दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में हो रहा है। यह चार मैचों की सीरीज का तीसरा टेस्ट है।

Motera Stadium Cost
मोटेरा स्टेडियम  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • भारत और इंग्लैंड की टीम तीसरे टेस्ट मैच में आमने-सामने हैं
  • यह डे-नाइट टेस्ट नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जा रहा है
  • यह दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम है, जो काफी खास है

अहमदाबाद: भारतीय टीम बुधवार को इंग्लैंड के खिलाफ नरेंद्र मोदी स्टेडियम में डे-नाइट टेस्ट मैच खेलने उतरी है, जो पिंक बॉल से हो रहा है। चार टेस्ट मैचों की सीरीज का तीसरा यह मुकाबला दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम स्टेडियम खेला जा रहा है। अहमदाबाद के साबरमती में स्थित इस स्टेडियम को पहले मोटेरा के नाम से जाना जाता था। यहां 6 साल बाद कोई अंतरराष्ट्रीय मैच हो रहा। स्टेडियम तमाम तरह की अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस, जो इसे बेहद खास बनाती हैं। यह दुनिया का एकमात्र क्रिकेट स्टेडियम है, जिसमें मुख्य मैदान पर 11 सेंटर पिचें हैं। स्टेडियम में 55 कमरों का एक क्लब हाउस है। स्टेडियम में 75 एयर-कंडीशन कॉर्पोरेट बॉक्स भी हैं। 

कितने करोड़ रुपए की लागत से बना स्टेडियम

साल 2015 में पुराने स्टेडियम को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया और फिर नए सिरे से निर्माण शुरू हुआ, जो 2020 तक चला था। पुराने स्टेडियम में 53,000 दर्शक एकसाथ क्रिकेट मैच देख सकते थे लेकिन नए स्टेडिमय में दर्शकों के बैठने की क्षमता 1 लाख 32 हजार है। अब यह दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम बन गया है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ा मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम था, जिसमें 90 हजार दर्शक एक साथ मैच का लुत्फ उठा सकते हैं। वहीं, नरेंद्र मोदी स्टेडियम की लागत की बात की जाए तो इसपर 800 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। यह स्टेडियम करीब 63 एकड़ से अधिक परिसर में फैला है।

पिंक बॉल से ही क्यों खेला जाता है डे-नाइट टेस्ट

भारतीय सरजमीन पर यह दूसरा डे-नाइट टेस्ट मैच है। इंग्लैंड से पहले भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ डे-नाइट खेला था। टेस्ट मैच लाल गेंदें से खेला जाता है, लेकिन दिन-रात के टेस्ट के लिए पिंक बॉल का इस्तेमाल होता है। कई लोगों के मन में सवाल होता है कि डे-नाइट टेस्ट पिंक बॉल से ही क्यों खेले जाते हैं? दरअसल, डे-नाइट टेस्ट के शुरुआत में पीली और नारंगी जैसी कई रंगों की गेंदों को बतौर प्रयोग आजमाया गया था, मगर यह कैमरा फ्रेंडली नहीं थी। मैच कवर कर रहे कैमरामैन को काफी परेशानी होती थी। उन्हें कैमरा के लिए कैप्चर कर पाना मुश्किल होता है, क्योंकि यह गेंदे सही से गेंद दिखाई नहीं देती तीं। इसके बाद पिंक बॉल को आजमाया गया, जिसपर सभी ने अपनी सहमति जता दी।

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